इस सीजन नहीं होगा रणजी ट्रॉफी का आयोजन- रिपोर्ट
क्या है खबर?
बीते रविवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की अपेक्स काउंसिल की मीटिंग हुई थी।
इस मीटिंग के दौरान घरेलू सीजन को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया गया है कि इस सीजन रणजी ट्रॉफी का आयोजन नहीं किया जाएगा।
बोर्ड के करीबी लोगों का मानना है कि 38 फर्स्ट-क्लास टीमों के लिए बॉयो-सेक्योर वातावरण बना पाना मुमकिन नहीं होगा।
इस सीजन फिलहाल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का आयोजन हो रहा है।
कठिनाई
इतने बड़े स्तर पर बॉयो-सेक्योर वातावरण बना पाना बेहद कठिन
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक जानकारों का कहना है कि महामारी अभी गई नहीं है और इससे लोग प्रभावित हो सकते हैं।
रणजी ट्रॉफी में 38 टीमों को हिस्सा लेना होता है और इतने बड़े स्तर पर बॉयो-सेक्योर वातावरण बनाने के बारे में सोचना ही मुश्किल है।
BCCI प्रेसीडेंट सौरव गांगुली की इच्छा थी कि रणजी सीजन का आयोजन हो, लेकिन अब इसे नहीं कराने का निर्णय लेना काफी कठिन है।
भुगतान
खिलाड़ियों को उचित भुगतान की व्यवस्था करेगी BCCI
रणजी ट्रॉफी के नहीं होने का मतलब है कि इस सीजन भारत में लाल गेंद से कोई क्रिकेट नहीं खेली जाएगी।
ऐसे में BCCI फर्स्ट-क्लास मैचों से जुड़े लोगों को उचित भुगतान करेगी जिसके लिए वे सभी स्टेट एसोसिएशन की मदद लेंगे।
शेडयूल के हिसाब से हर साल रणजी ट्रॉफी का आयोजन अक्टूबर से फरवरी के बीच में किया जाता है।
फर्स्ट-क्लास क्रिकेटर्स के लिए यह कमाई का सबसे बड़ा जरिया है।
फीस
मुश्ताक अली के लिए BCCI ने बढ़ाई है फीस
बीते 10 जनवरी को देश में सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के साथ घरेलू क्रिकेट की वापसी हुई है।
लंबे समय बाद मैदान पर उतरे क्रिकेटर्स की फीस बढ़ाकर BCCI ने उन्हें बड़ा तोहफा दिया है।
मुश्ताक अली में इस सीजन खिलाड़ियों को मैचफीस के तौर 75,000 रूपये मिलेंगे। पहले खिलाड़ियों के 50,000 रूपये की मैचफीस मिलती थी।
इसके अलावा मेजबानी शुल्क को भी 2.5 लाख से बढ़ाकर 3.5 लाख रूपये कर दिया गया है।
विजय हजारे ट्रॉफी
फरवरी में हो सकती है विजय हजारे ट्रॉफी
भले ही इस सीजन रणजी ट्रॉफी नहीं होगी, लेकिन बोर्ड विजय हजारे ट्रॉफी का आयोजन कराना चाहती है।
फरवरी में विजय हजारे का आयोजन कराने पर विचार हो रहा है और अगले दो हफ्तों में इसका शेड्यूल जारी किया जा सकता है।
विजय हजारे के दौरान ही बोर्ड महिलाओं की टी-20 प्रतियोगिता भी आयोजित कर सकती है।
लंबे समय से महिलाओं को घरेलू क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला है।