#NewsBytesExplainer: कैसे कांग्रेस और अशोक गहलोत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है चिरंजीवी योजना?
नवंबर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस चुनाव में एक तरफ मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के लिए अपने पद को बनाए रखने की चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा किसी भी तरह सत्ता में वापसी करना चाहती है। कांग्रेस अपनी चिरंजीवी योजना के जरिए सत्ता में वापसी की तैयारी कर रही है। आइए जानते हैं कि ये योजना क्या है और ये कैसे चुनावों में गेमचेंजर साबित हो सकती है।
क्या है चिरंजीवी योजना?
चिरंजीवी योजना एक स्वास्थ्य बीमा योजना है, जिसे साल 2021 में अशोक गहलोत ने लागू किया था। इस योजना के तहत राजस्थान के प्रत्येक परिवार को 25 लाख के कैशलेस इलाज की सुविधा मिलती है। 2022 तक केवल 15 लाख रुपये तक के इलाज की सुविधा मिलती थी, जिसे इस साल 25 लाख कर दिया गया। आयकर देने वाले भी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन उन्हें इसके लिए 850 रुपये वार्षिक प्रीमियम भरना होता है।
राज्य में तेजी से बढ़ी चिरंजीवी योजना की लोकप्रियता
चिरंजीवी योजना के कवरेज को बढ़ाए जाने के बाद से इसकी लोकप्रियता राज्य में तेजी से बढ़ी है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कवरेज बढ़ाए जाने के दो दिनों के अंदर ही इस योजना के लिए 6.3 लाख से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया था। अब तक इस योजना से 1.35 करोड़ से अधिक लोग जुड़ चुके हैं। स्पष्ट है गहलोत सरकार की योजना जिस वर्ग को टारगेट करना चाहती है, उस तक इसका लाभ पहुंच रहा है।
योजना पर सरकार का क्या कहना है?
BBC की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा , "राज्य के 90 प्रतिशत परिवार चिरंजीवी योजना से कवर हो रहे हैं, जो देश में सबसे अधिक है। इसमें किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर और हृदय रोग आदि का इलाज सरकारी खर्च पर करवाया जा सकता है।" लोग इस योजना का लाभ राज्य के 1,000 से अधिक निजी अस्पतालों में उठा सकते हैं। इससे लोगों के लिए इलाज पाना आसान हो गया है।
क्यों राजनीतिक रूप से अहम है योजना?
2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में गरीबी दर 14.7 प्रतिशत थी। हाल ही में लोकसभा में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने जानकारी दी थी कि राजस्थान में करीब 1.02 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। कांग्रेस ने अपनी इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे के इन्हीं लोगों को टारगेट किया है। ये एक बड़ा वर्ग है और कांग्रेस चुनाव में इसे अपने समर्थन में भुनाने की कोशिश करेगी। ये वर्ग जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
कैसे गेमचेंजर साबित हो सकती है योजना?
अमर उजाला के अनुसार, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों खासकर चिरंजीवी योजना को मॉडल के तौर पर पेश करने की योजना बना रही है। इस योजना के अलावा राज्य सरकार स्वास्थ्य का अधिकार कानून भी लेकर आई है, जिसे स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाली कई स्वंयसेवी संस्थाएं भी इसे मील का पत्थर बता रही हैं। कांग्रेस इस योजना के जरिए एक बड़े लाभार्थी वर्ग को अपनी तरफ करने में कामयाब हो सकती है।
क्या है गहलोत सरकार की चुनौतियां?
इस योजना के तहत 1,000 से अधिक निजी अस्पतालों ने पंजीकरण कराया है, लेकिन फिर भी इनमें से कुछ अस्पताल इलाज के लिए पैसे ले रहे हैं। BBC की रिपोर्ट के अनुसार, एक स्टडी में ये पाया गया कि योजना के तहत निजी अस्पतालों ने बहुत सारी ऐसी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सरकार से पैसा क्लेम किया, जो सुविधाएं उन अस्पतालों में दी भी नहीं जातीं। निजी अस्पतालों का ये भ्रष्टाचार गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
भाजपा का योजना पर क्या कहना है?
भाजपा के नेता राजेंद्र राठौर ने विधानसभा में दावा किया था कि योजना के तहत 25 लाख रुपये का लाभ महज 14 लोगों को ही मिला और 10 लाख के लाभार्थी भी 100 या उससे अधिक होंगे, बाकी सभी 5-5 लाख या उससे कम वाले है। भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने इस योजना की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल योजना के नाम पर सरकारी पैसा लूट रहे हैं।
न्यूजबाइट्स प्लस
राजस्थान चुनाव में 200 विधानसभा सीटों पर करीब 5.2 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.7 करोड़ और महिला मतदाताओं की 2.5 करोड़ के करीब है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और दोनों पार्टियों ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर यहां अभी कोई घोषणा नहीं की है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 73 और कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थीं और यहां तभी से कांग्रेस की सरकार है।