संसद के विशेष सत्र में पेश हो महिला आरक्षण विधेयक, कांग्रेस ने उठाई मांग
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर हलचल फिर बढ़ने लगी है। अब कांग्रेस ने संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक पेश किए जाने की मांग की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, "कांग्रेस कार्य समिति ने मांग की है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाना चाहिए।'' इससे पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने भी इस विधेयक को विशेष सत्र में लाए जाने की मांग की थी।
क्या बोली कांग्रेस?
एक्स पर रमेश ने लिखा, 'सबसे पहले राजीव गांधी ने 1989 के मई महीने में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं हो सका था। अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया थे।'
जयराम रमेश बोले- राज्यसभा से पारित हो चुका, अब लोकसभा से हो
रमेश ने लिखा, 'तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए थे। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका। राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं। इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित है। कांग्रेस पार्टी पिछले 9 साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए।'
RSS की समन्यव समिति में भी हुई थी चर्चा
शनिवार (16 सितंबर) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की पुणे में समन्वय समिति की बैठक थी। इसमें भी महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। RSS के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा था, "महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इसलिए संघ प्रेरित सभी संगठनों सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास करेंगे।" इसके बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि महिला आरक्षण को लेकर कुछ बड़ा हो सकता है।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र
15 सितंबर को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने लिखा था, "यह मामला काफी समय से लंबित है और 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र से 33 प्रतिशत महिला आरक्षण वाला विधेयक पारित करे। मुझे आपको ये बताते हुए खुशी हो रही है कि तेलंगाना सरकार सार्वजनिक रोजगार और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत आरक्षण लागू कर रही है।"
क्या है महिला आरक्षण विधेयक?
इस विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिये 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है। इसी 33 प्रतिशत में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी हैं। महिला आरक्षण विधेयक एक संविधान संशोधन विधेयक है। यही कारण है कि इसे दो-तिहाई बहुमत से पारित किया जाना जरूरी है। इसी वजह से ये विधेयक करीब 26 साल से अधर में लटका हुआ है।
न्यूजबाइट्स प्लस
महिला आरक्षण विधेयक कई बार पेश किया गया है। सबसे पहले 1996 में एचडी देवगौड़ा की सरकार ने इसे पेश किया था, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध कियाा। इसके बाद 1998, 1999, 2002 और 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने इसे पेश किया था। संयुक्त प्रगतिशील गठंबधन (UPA) सरकार ने 2004, 2009 और 2010 में विधेयक पेश किया। 2010 में ये राज्यसभा से पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में नहीं हो पाया।