#NewsBytesExplainer: महिला विरोधी अपराधों से लेकर पेंशन योजना तक, राजस्थान चुनाव के प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
नवंबर में राजस्थान समेत 5 राज्यों में विधानसभा होने हैं। राजस्थान में 23 नवंबर को मतदान होगा, जबकि नतीजे 3 दिसंबर को सभी राज्यों के साथ घोषित होंगे। राजस्थान में इस समय कांग्रेस की सरकार है और उसे सत्ता में बने रहने के लिए पूरा जोर लगाना होगा क्योंकि 'सत्ता विरोधी' लहर से लेकर कानून व्यवस्था तक भाजपा के पक्ष में अनेक मुद्दे हैं। आइए जानते हैं कि इस बार राजस्थान चुनाव के प्रमुख मुद्दे क्या-क्या हैं।
सत्ता विरोधी लहर
राजस्थान में पिछले 30 साल का इतिहास देखें तो पता चलता है कि 1993 के बाद हर विधानसभा चुनाव में यहां सत्ता परिवर्तन हुआ है। मतलब ये है कि यहां कोई पार्टी लगातार 2 बार सरकार नहीं बना पाई क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी को यहां हर चुनाव में 'सत्ता विरोधी' लहर का सामना करना पड़ा है। इस तथ्य पर जाएं तो इस बार भाजपा के सत्ता में आने की संभावना अधिक है, लेकिन राजनीति में कुछ भी 'असंभव' नहीं है।
कानून व्यवस्था और महिला विरोधी अपराध
राजस्थान चुनाव में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में राजस्थान देश में शीर्ष स्थान पर हैं। चुनाव में भाजपा इसी मुद्दे को भुनाने की कोशिश में जुटी है। महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर अपराधों को लेकर भाजपा हमेशा अशोक गहलोत की सरकार के खिलाफ मुखर रही है। दूसरी तरफ आरोपों को लेकर राजस्थान सरकार का तर्क है कि जब भी कोई ऐसी घटनाएं हुई है, उसने अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की है।
पुरानी पेंशन योजना
कांग्रेस ने राजस्थान चुनाव में पुरानी पेंशन योजना (OPS) लागू करने का वादा किया है। उसका दावा है कि OPS बहाली से 7 लाख राज्य कर्मचारियों और उनके परिवारों को फायदा होगा। राज्य सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, शहरी रोजगार गारंटी योजना और सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसी कई कल्याणकारी योजनाओं को भी आगे बढ़ाने का वादा किया है। ये योजनाएं भाजपा के लिए चुनाव में चुनौती खड़ी कर सकती हैं। भाजपा OPS के खिलाफ है।
बेरोजगारी और पेपर लीक
देश में बेरोजगारी के मामले में हरियाणा के बाद राजस्थान का नाम आता है। यहां बेरोजगारी दर 24.5 प्रतिशत के करीब है। गहलोत सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने की कई घटनाएं सामने आईं। ये मुद्दा लाखों बेरोजगारों को प्रभावित करने वाला मुद्दा है। भाजपा के अलावा कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी मामले को लेकर अपनी ही सरकार पर निशाना साधा चुके हैं। भाजपा बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मुखर है।
भ्रष्टाचार
राजस्थान सरकार पर विधानसभा के अंदर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। राजस्थान सरकार से बर्खास्त एक मंत्री ने मुख्यमंत्री गहलोत पर विधायकों की खरीद-फरोख्त और राजस्थान क्रिकेट बोर्ड (RCB) में चुनाव में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। हाल में एक भाजपा सांसद ने दावा किया कि भ्रष्टाचार से कमाए 500 करोड़ रुपये और 50 किलोग्राम सोना जयपुर के निजी लॉकर्स में जमा हैं। चुनाव में भाजपा इन कथित भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की कोशिश में है।
गुटबाजी
पिछले चुनाव के बाद से कांग्रेस नेता गहलोत और पायलट के बीच गुटबाजी की खबरें आम हैं। यहां गहलोत और पायलट के बीच 'मुख्यमंत्री पद' को लेकर संघर्ष चल रहा है, जिससे पार्टी को चुनाव में नुकसान पहुंचा सकता है। भाजपा की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस चुनाव में कम तवज्जो मिल रही है। ऐसे में अगर राजे और उनके समर्थक रुठते हैं तो भाजपा को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
हिंदुत्व और सांप्रदायिक हिंसा
भाजपा राजस्थान चुनाव में हिंदुत्व को भी एक बड़ा मानती है। उसने चुनावी रैलियों में करौली, जोधपुर और भीलवाड़ा में हुई सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा उठाकर गहलोत सरकार पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया है। हाल में उदयपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में दर्जी कन्हैयालाल की हत्याकांड का जिक्र किया था। सरकार ने कन्हैयालाल के परिवार की आर्थिक मदद और उनके बेटों को सरकारी नौकरी देकर इस नुकसान को कम करने की कोशिश की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
राजस्थान चुनाव में 200 विधानसभा सीटों पर करीब 5.2 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2.7 करोड़ और महिला मतदाताओं की 2.5 करोड़ के करीब है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है और दोनों पार्टियों ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार को लेकर यहां अभी कोई घोषणा नहीं की है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 73 और कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थीं और यहां तभी से कांग्रेस की सरकार है।