बाल विवाह रोकने के लिए राजस्थान सरकार की मुहिम, कार्ड पर लिखवानी होगी दूल्हा-दुल्हन की उम्र
क्या है खबर?
राजस्थान सरकार ने आखातीज और पीपल पूर्णिमा के आसपास बड़ी संख्या में होने वाले बाल विवाहों को रोकने के लिए एक बड़ा और अनोखा प्लान तैयार किया है।
सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि विवाह समारोह के लिये छपने वाले निमंत्रण पत्रों (कार्ड) पर दूल्हा और दुल्हन के जन्म की तारीख लिखवाना अनिवार्य होगा। इसके अलावा प्रिंटिंग प्रेस वालों को भी उन दोनों की आयु का एक प्रमाणपत्र अपने पास उपलब्ध रखना होगा।
निर्देश
हलवाई, पंडित और बारातियों को भी बाल विवाह में सहयोग न करने का निर्देश
शादी के कार्ड पर आयु लिखवाने के अलावा राजस्थान सरकार ने विवाह कराने में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों से भी बाल विवाहों में सहयोग न करने को कहा है।
सरकार ने कहा है कि हलवाई, बैंड-बाजे वाले, पंडित, बाराती, टैंट वाले और ट्रांसपोर्टर आदि बाल विवाह में सहयोग ना करें। उसने यह भी कहा है कि अगर ये लोग बाल विवाह में सहयोग करते हैं तो इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
आदेश
सरकार ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस प्रमुखों को जारी किया गया है आदेश
राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को यह आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत बाल विवाह एक अपराध है और इनके रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
सरकार ने कहा है कि इस साल आखातीज 14 मई और पीपल पूर्णिमा 26 मई को है और इस दौरान ग्रामीण इलाकों में बाल विवाहों के आयोजन की अधिक संभावनाएं रहती हैं।
रणनीति
पूरी मुहिम में ग्राम और तहसील स्तर के अधिकारियों की रहेगी अहम जिम्मेदारी
सरकार ने इन बाल विवाहों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम का व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है।
सरकार ने कहा कि ग्राम और तहसील स्तर के कर्मचारी और जन प्रतिनिधि इस मुहिम में अहम भूमिका निभा सकते हैं क्योंकि इनके पास जमीनी स्तर की ज्यादा जानकारियां होती हैं। आदेश में कहा गया है कि आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर इन्हीं लोगों पर बाल विवाहों की जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी रहेगी।
आंकड़े
राजस्थान में होते हैं देश में सबसे अधिक बाल विवाह
बता दें कि राजस्थान में देश में सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं। यूनिसेफ के अनुसार, राज्य में 82 प्रतिशत विवाह 18 साल की उम्र से पहले ही हो जाते हैं और 22 प्रतिशत बच्चियां 18 साल से पहले मां बन जाती हैं।
आखातीज और पीपल पूर्णिमा पर ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में चोरी छिपे बाल विवाह होते हैं। प्रशासन ने ऐसे कई विवाहों को रुकवाया भी है, लेकिन लोग मानते ही नहीं हैं।
जानकारी
बाल विवाह करने या कराने पर दो साल की जेल का प्रावधान
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 में बाल विवाह करने या कराने पर दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत बाल विवाह में हिस्सा लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दोषी माना जाता है।