राजस्थान में राजनीतिक हलचल: सचिन पायलट गुट के 15 नेताओं ने दिल्ली में डाला डेरा
कांग्रेस पार्टी कई राज्यों में अंदरूनी कलह का सामना कर रही है। वर्तमान में जहां पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्दू तथा कर्नाटक में सिद्धरमैया और डीके शिवकुमार के बीच सियासी घमासान चल रहा है, वहीं अब इस सूची में राजस्थान में शामिल हो गया है। राजस्थान में कैबिनेट विस्तार और नियुक्तियों को लेकर जारी सियासी घमासान फिर शुरू हो गया है। इसके चलते पायलट गुट के 15 नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है।
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के बाद से ही चल रही है खींचतान
राजस्थान में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के बीच खींचतान चल रही है। दोनों नेताओं के बीच नेतृत्व और दर्जे को लेकर तनातनी चल रही है। पिछले साल जुलाई में भी पायलट ने अपने समर्थित विधायकों के साथ हरियाणा में डेरा डाल दिया था। इस पर उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। बाद में शीर्ष नेतृत्व ने पायलट से वार्ता कर विवाद को खत्म किया था।
दिल्ली पहुंचे नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखा था पत्र
बता दें कि राजस्थान में पायलट और मुख्यमंत्री गहलोत के धड़े एक पखवाड़े से कैबिनेट विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। यही कारण है कि पायलट गुट के विधायकों ने गत दिनों अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर राज्य सरकार में बसपा से कांग्रेसी बने विधायकों और निर्दलीय विधायकों के बढ़ते प्रभाव की शिकायत की थी। इस पर सुनवाई नहीं होने के लेकर अब ये विधायक दिल्ली पहुंचे हैं।
शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात होने तक नहीं छोड़ेंगे दिल्ली- यादव
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार शाहपुरा विधानसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी मनीष यादव ने कहा, "हम तब तक दिल्ली में डेरा डालते रहेंगे जब तक हम नेताओं से नहीं मिलते और अपनी समस्याएं नहीं बता देते।" उन्होंने कहा, "AICC महासचिव और राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने मंगलवार दोपहर का समय दिया था, लेकिन कुछ बैठक के कारण स्थगित कर दिया गया। माकन ने उन्हें पांच के छोटे प्रतिनिधिमंडल के रूप में मिलने के लिए कहा है।"
कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर लगाया आरोप
यादव ने कहा, "राजस्थान में हमारा सही बकाया मारा जा रहा है। मुख्यमंत्री सरकार का नेतृत्व करते हैं और संगठन राज्य पार्टी प्रमुख द्वारा तय होता है। दोनों हमसे बच रहे हैं और उनकी परेशानी को नहीं सुना जा रहा है।" उन्होंने कहा, "राजस्थान में 2018 में विधानसभा चुनाव में मतदान करने वाले कार्यकर्ताओं और प्रदेश की जनता को सरकार में नहीं सुना जा रहा है।" यादव के साथ दौलत मीणा, सुभाष मील, रितेश बैरवा और आरसी यादव भी थे।
विधायकों ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में यह लगाया था आरोप
बता दें कि विधानसभा चुनाव में हारने वाले और पायलट गुट के नेताओं ने सोनिया गांधी को लिखे पत्र में आरोप लगाया था कि विधायक (निर्दलीय और बसपा से शामिल होने वाले) विधानसभा क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं और संगठनात्मक ढांचे को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी संगठन इन विधायकों की मर्जी पर काम कर रहा है। पार्टी कार्यकर्ता और मतदाता ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।