
महाराष्ट्र: स्पीकर चुनाव के नतीजों में फ्लोर टेस्ट के लिए क्या संकेत?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के सियासी संकट में सोमवार का दिन बेहद अहम है और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को कल अपना बहुमत साबित करना है।
शिंदे शिवसेना के बागी खेमे और भाजपा के गठबंधन की सरकार चला रहे हैं और कल उनकी "मेहनत" का नतीजा देखने को मिलेगा।
इससे पहले आज फ्लोर टेस्ट के सेमीफाइनल में विधानसभा स्पीकर का चुनाव हुआ। आइए जानते हैं कि स्पीकर चुनाव के नतीजे फ्लोर टेस्ट के बारे में क्या संकेत देते हैं।
स्पीकर चुनाव
क्या रहे स्पीकर पद के चुनाव के नतीजे?
स्पीकर पद के चुनाव में भाजपा के विधायक राहुल नार्वेकर ने बाजी मारी। वह शिवसेना के बागी खेमे और भाजपा के उम्मीदवार थे।
नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के उम्मीदवार राजन सालवी को मात दी। नार्वेकर के समर्थन में 164 वोट पड़े, वहीं उनके खिलाफ 107 विधायकों ने वोट किया।
समाजवादी पार्टी और AIMIM के विधायक आज हुई वोटिंग में अनुपस्थित रहे और उन्होंने किसी पक्ष के लिए वोट नहीं डाला।
फ्लोर टेस्ट
स्पीकर चुनाव के फ्लोर टेस्ट के लिए क्या मायने?
स्पीकर पद के चुनाव के बाद कहा जा सकता है कि 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा में शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को 164 विधायक समर्थन कर रहे हैं, जो बहुमत के आंकड़े 145 से 19 ज्यादा है।
शिवसेना के ठाकरे गुट ने बागी खेमे के 16 विधायकों के खिलाफ सदस्यता रद्द करने का नोटिस जारी किया हुआ है, ऐसे में इन सभी विधायकों की सदस्यता रद्द हो भी जाती है तो शिंदे सरकार के पास पर्याप्त बहुमत बरकरार रहेगा।
दूसरा समीकरण
सभी 39 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द होने पर क्या होगा?
ठाकरे गुट ने आज व्हिप जारी करते हुए सभी शिवसेना विधायकों से उसके उम्मीदवार को वोट देने को कहा, हालांकि बागी विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार को वोट डाला।
अगर ठाकरे गुट अपने व्हिप को वैध घोषित करा सभी 39 बागियों की सदस्यता रद्द करा देता है तो विधानसभा का संख्याबल 248 हो जाएगा और बहुमत का आंकड़ा 125 सीट होगा।
164 में से 39 विधायक जाने पर भी शिंदे सरकार के पास 125 विधायक बचेंगे जो बहुमत के बराबर हैं।
विपक्षी खेमा
ठाकरे गुट और महा विकास अघाड़ी गठबंधन के लिए आगे का रास्ता क्या?
इन आंकड़ों से साफ है उद्धव ठाकरे के गुट का फ्लोर टेस्ट में जीतना लगभग नामुमकिन है। केवल एक तरीका है जिसके जरिए ठाकरे गुट, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का महा विकास अघाड़ी गठबंधन सत्ता में वापसी कर सकता है।
अगर ठाकरे गुट सभी बागियों की सदस्यता रद्द कराने में कामयाब रहता है और फिर उपचुनाव होने पर इन सीटों को जीत लेता है तो महा विकास अघाड़ी गठबंधन सत्ता में वापस आ जाएगा।
पृष्ठभूमि
महाराष्ट्र में क्यों पड़ी फ्लोर टेस्ट की जरूरत?
एकनाथ शिंदे की उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत के कारण महाराष्ट्र में नई सरकार बनी है और फ्लोर टेस्ट की जरूरत पड़ी है।
शिंदे ने पिछले महीने शिवसेना के 54 में से 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी थी। इस बगावत से महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ गई और 29 जून को ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
इसके बाद शिंदे ने 30 जून को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली।