एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में क्या समीकरण बन रहे हैंँ?
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत ने महाराष्ट्र सरकार को मुसीबत में डाल दिया है और इस पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है। अभी तक के सारे घटनाक्रम से इस बार सरकार का बचना मुश्किल लग रहा है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को पार्टी और मुख्यमंत्री की कुर्सी, दोनों गंवानी पड़ सकती हैं। आइए आपको बताते हैं कि शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र विधानसभा में क्या-क्या समीकरण बन रहे हैं।
शिंदे के पास कितने विधायकों का समर्थन?
मंगलवार रात गुजरात के सूरत से असम के गुवाहाटी पहुंचे शिंदे ने अपने साथ शिवसेना के 40 विधायक होने का दावा किया है। अगर उनका ये दावा सही है तो यह इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक साबित हो सकता है। दरअसल, दल-बदल कानून के दायरे में आने से बचने के लिए शिंदे को शिवसेना के दो-तिहाई यानि 37 विधायकों का समर्थन चाहिए। अगर वो इतने विधायक जुटा लेते हैं तो बिना विधायकी गंवाए शिवसेना से अलग हो सकते हैं।
शिंदे खेमे के पास क्या-क्या विकल्प?
अगर शिंदे को 40 विधायकों का समर्थन हासिल है तो उनके पास विकल्पों की कमी नहीं है। वह चाहें तो इन सभी विधायकों को तोड़कर एक अलग पार्टी बना सकते हैं। इसके अलावा वह शिवसेना पर भी दावा कर सकते हैं। चुनाव आयोग के अनुसार, किसी भी पार्टी में दो खेमे बनने पर जिस खेमे के पास ज्यादा पदाधिकारी और निर्वाचित नेता होते हैं, पार्टी पर उसी का अधिकार होता है। इससे उद्धव के हाथ से पार्टी भी चली जाएगी।
शिंदे खेमे के विधायकों के पास इस्तीफा देने का भी विकल्प
शिंदे और उनके खेमे के विधायकों के पास तीसरा विकल्प इस्तीफा देने का भी है। अगर वे सभी इस्तीफा दे देते हैं तो शिवसेना के विधायकों की संख्या घटकर 15 रह जाएगी और महा विकास अघाड़ी गठबंधन के लिए सरकार बचाना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
विधानसभा में क्या स्थिति?
एक शिवसेना विधायक की मौत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो विधायकों के जेल में होने के कारण 288 सदस्यीय महाराष्ट्र विधानसभा का संख्याबल अभी 285 है। बहुमत का आंकड़ा 143 है। अभी तक महा विकास अघाड़ी गठबंधन के पास 151 विधायकों का समर्थन था, लेकिन शिंदे की बगावत के बाद ये आंकड़ा 111 रह जाएगा। वहीं भाजपा के पास 106 विधायक हैं और उसे निर्दलीय और अन्य पार्टियों का समर्थन भी शामिल है।
आगे क्या-क्या हो सकता है?
अगर शिंदे बगावत के बाद अलग पार्टी बनाकर या अन्य किसी तरीके से भाजपा को समर्थन देते हैं तो भाजपा को समर्थन देने वाले विधायकों की संख्या बढ़कर 143 सीटों के बहुमत के आंकड़े से ज्यादा हो जाएगी और वह सरकार बना पाएगी। वहीं अगर शिंदे खेमे के सभी विधायक इस्तीफा देते हैं तो विधानसभा का संख्याबल गिरकर 123 पर आ जाएगा। 111 विधायकों के साथ गठबंधन की सरकार गिर जाएगी और भाजपा के पास सरकार बनाने का मौका होगा।