एकनाथ शिंदे ने शेयर किया अपने खेमे के विधायक का पत्र, ठाकरे पर साधा निशाना
उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत का झंडा उठाने वाले एकनाथ शिंदे ने गुरुवार को एक पत्र शेयर किया है। संजय शिरसाट नामक विधायक ने यह पत्र बालासाहेब ठाकरे को संबोधित करते हुए लिखा है, लेकिन यह उद्धव ठाकरे के नाम है। इसमें लिखा गया है कि पिछले ढाई साल से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आधिकारिक आवास 'वर्षा' के दरवाजे शिवसेना विधायकों के लिए बंद थे। कल सही मायनों में इस बंगले के दरवाजे जनता के लिए खुले हैं।
'मुख्यमंत्री आवास में नहीं मिला सीधा प्रवेश'
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कल फेसबुक लाइव पर संबोधन के बाद अपना आधिकारिक आवास खाली कर दिया था और निजी आवास पर लौट आए हैं। संबोधन के दौरान उन्होंने कहा था कि वो इस्तीफा देने को तैयार हैं। शिरसाट ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि 'वर्षा' में प्रवेश पाने के लिए मुख्यमंत्री के आसपास रहने वाले लोगों की मनुहार करनी पड़ती थी, जो कभी चुनाव जीतकर नहीं आए। शिवसेना विधायकों को कभी बंगले में सीधा प्रवेश नहीं मिला।
'चाणक्य क्लर्क बना रहे थे रणनीति'
महाराष्ट्र में हाल ही में संपन्न हुए विधान परिषद चुनावों का संदर्भ देते हुए लिखा गया है कि कुछ तथाकथित चाणक्य क्लर्क विधायकों को दरकिनार कर राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों की रणनीति बना रहे थे। उसका क्या हाल हुआ, यह पूरे महाराष्ट्र ने देखा है। गौरतलब है कि राज्यसभा और विधान परिषद के चुनावों में शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के गठबंधन को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और भाजपा ने बेहतर प्रदर्शन किया था।
मुख्यमंत्री पर विधायकों से न मिलने का आरोप
शिंदे की तरफ से जारी किए पत्र में विधायक ने लिखा है कि आमतौर पर मुख्यमंत्री मंत्रालय की छठी मंजिल पर सबसे मिलते हैं, लेकिन ठाकरे कभी मंत्रालय गए ही नहीं। विधानसभा क्षेत्रों के काम या अन्य मुद्दों पर बात करने के लिए विनती करने के बाद भी मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया जाता और विधायकों को घंटों इंतजार करना पड़ता था। चाणक्य क्लर्क फोन नहीं उठाते थे और अंत में निराश होकर वहां से निकलना पड़ता।
...इसलिए शिंदे के पीछे हुए विधायक
इस पत्र में आगे आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शिवसेना विधायकों के साथ अपमान कर रही थी। विधानसभा क्षेत्रों की खराब हालात, विधायक निधी और अधिकारियों की तरफ से हो रहे अपमान समेत विधायकों की सभी शिकायतें एकनाथ शिंदे ही सुन रहे थे और उनका समाधान कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कभी विधायकों को सुनने की जहमत नहीं उठाई। इसलिए सभी विधायक न्याय अधिकार के लिए शिंदे के पीछे होने को मजबूर हुए हैं।
अयोध्या जाने से रोका गया- शिरसाट
शिरसाट ने अपने पत्र में लिखा है कि जब आदित्य ठाकरे अयोध्या गए थे, तब मुख्यमंत्री ने विधायकों को वहां जाने से क्यों रोका था। विमान में बैठे विधायकों को वापस बुलाया गया था। विधायकों को रामलला के दर्शन क्यों नहीं करने दिए?
ठाकरे की कुर्सी जाना लगभग तय
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाना तय माना जा रहा है। उन्होंने कल ही संकेत दे दिए थे कि वो इस्तीफा देने को तैयार हैं और बाद में उन्होंने मुख्यमंत्री आवास भी खाली कर दिया था। दूसरी तरफ शिंदे का समर्थन करने वाले विधायकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खबरें हैं कि वो शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर भी दावा ठोंक सकते हैं। ऐसे में ठाकरे की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।