महाराष्ट्र में सियासी घमासान: उद्धव ठाकरे ने तोड़ी चुप्पी, कहा- इस्तीफा देने के लिए तैयार
महाराष्ट्र में पिछले दो दिनों से चल रहे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ दी। उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए राज्य को संबोधित करते हुए कहा कि अगर किसी को ऐसा लगता है कि वह मुख्यमंत्री न रहें तो तुरंत पद छोड़ने के लिए तैयार हूं। बस एक बार वह उनसे आकर मिले और कहे। उन्होंने कहा कि शिवसेना कभी भी हिंदुत्व को नहीं छोड़ेगी और हिंदुत्व ही पार्टी की पहचान है।
मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की इच्छा नहीं रही- ठाकरे
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, "मैं अपना इस्तीफा तैयार कर रखा हूं। एक बार वो विधायक आएं और एक बार कहें कि मुझे मुख्यमंत्री बनते नहीं देखना चाहते। मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं।" उन्होंने कहा, "जिस भी विधायक को मुख्यमंत्री बनना है, वो मेरे सामने आकर बताए। मेरी अब मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की इच्छा नहीं रही। मैं वर्षा बंगले से मातोश्री आज ही शिफ्ट हो रहा हूं। मुख्यमंत्री बने रहना मेरी कोई मजबूरी नहीं है।"
"शिवसेना प्रमुख पद भी छोड़ने को तैयार"
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, "हमारे साथ हजारों शिवसेना कार्यकर्ता हैं। आज मैं किसी भी चुनौती से नहीं डरता हूं। जिनको भी ऐसा लगता है कि मैं शिवसेना का नेतृत्व नहीं कर सकता तो मैं तत्काल शिवसेना प्रमुख पद भी छोड़ने को तैयार हूं।"
मुझे मुख्यमंत्री बने रहने का कोई लालच नहीं- ठाकरे
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा, "आज कांग्रेस और NCP कहे कि वो मुझे मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते, तो मैं मान सकता हूं। आज सुबह कमलनाथ और शरद पवार ने फोन कर मुझ पर भरोसा जताया है, लेकिन अब मैं क्या करुं? जब कोई अपना ही ऐसा कहे कि मुझे मुख्यमंत्री बनते नहीं देखना चाहते।" उन्होंने कहा, "मुझे मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए सूरत जाने की क्या जरुरत थी? शिवसेना से वफादारी का दावा करके ऐसा करना ठीक नहीं है।"
हिन्दुत्व और शिवसेना एक सिक्के के दो पहलू- ठाकरे
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे की मृत्यु के बाद उन्होंने 2014 का चुनाव अपने दम पर लड़ा और हिंदुत्व के मुद्दे पर ही सफलता हासिल की थी। शिवसेना और हिंदुत्व एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। उन्होंने बाला साहेब के सिद्धांतों को कभी नहीं छोड़ा है। उन्होंने कहा शिवसेना हिन्दुत्व के बिना नहीं हो सकती है। बाला साहेब की शिवसेना और आज की शिवसेना में क्या फर्क है। कठिन हालात में हमने 2019 का चुनाव लड़ा था।
शरद पवार और सोनिया गांधी ने की बहुत मदद- ठाकरे
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और NCP प्रमुख शरद पवार ने उनकी बहुत मदद की। 2019 में तीनों दल साथ आए तो शरद पवार ने उनसे कहा था कि उन्हें ही मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालनी होगी।
शिवसेना विधायक एकनाथ शिंदे ने की बगावत
बता दें विधान परिषद चुनाव के बाद शिवसेना विधायक और सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे पार्टी के 10-12 विधायकों को साथ लेकर असम के गुवाहाटी पहुंच गए। वह शिवसेना पर भाजपा के साथ पुराना गठबंधन बहाल कर सरकार बनाने की मांग कर रहे हैं। दरअसल, ठाणे में शिवसेना को मजबूत करने वाले शिंदे काफी समय से मुख्यमंत्री ठाकरे और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत से नाराज हैं। उन्हें लगता है कि पार्टी में उन्हें किनारे किए जा रहा है।
शिंदे ने कही बालासाहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने की बात
गुवाहाटी पहुंचने के बाद मीडिया से बात करते हुए शिंदे ने कहा वह शिवसेना को तोड़ नहीं रहे हैं। 40 विधायक अभी यहां मौजूद हैं। सभी लोग बालासाहेब ठाकरे जी का जो हिंदुत्व है, उसे आगे ले जाना चाहते हैं। उन्होंने बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना को नहीं छोड़ा है। वह इसे छोड़ेंगे भी नहीं। वह बालासाहेब के हिंदुत्व का पालन कर रहे हैं और इसे आगे बढ़ाएंगे। हालांकि, शिंदे के साथ जाने वाले एक विधायक वापस महाराष्ट्र पहुंच चुके हैं।
क्यों अहम है शिंदे की बगावत?
एकनाथ शिंदे की बगावत से महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी गठबंधन की सरकार पर संकट पैदा हो गया है। दल-बदल कानून के अनुसार, अगर शिंदे 37 शिवसेना विधायकों को अपने पक्ष में कर लेते हैं तो उन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा और वो बिना विधायकी खोए अलग पार्टी बना सकेंगे। ऐसा करने पर गठबंधन की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। अगर यह बागी विधायक भाजपा को समर्थन दे देते हैं तो राज्य में भाजपा की सरकार बन जाएगी।
शिवसेना के 34 विधायकों ने शिंदे के समर्थन में राज्यपाल को लिखा पत्र
इधर, बिगड़ते समीकरणों के बीच शिवसेना के 34 विधायकों ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखकर पार्टी नेता एकनाथ शिंदे का समर्थन किया है। उन्होंने राज्यपाल को भेजे अपने हस्ताक्षर वाले पत्र में शिंदे को अपना नेता घोषित किया है।