#NewsBytesExplainer: 24 संसदीय समितियों का गठन, ये कैसे बनाई जाती हैं और क्या काम करती हैं?
केंद्र सरकार ने साल 2024-25 के लिए 24 संसदीय समितियों का गठन कर दिया है। राहुल गांधी को रक्षा मामलों की समिति का, जबकि मंडी से सांसद कंगना रनौत को संचार और IT समिति का सदस्य बनाया गया है। सोनिया गांधी को किसी भी समिति में जगह नहीं मिली है। हर समिति में राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्य शामिल हैं। आइए आज इन समितियों के बारे में जानते हैं।
क्या होती हैं संसदीय समितियां?
दरअसल, संसद के पास बहुत सारा काम होता है, लेकिन वक्त कम होता है। इस वजह से कोई मामला संसद के पास आता है तो वो उस पर गहराई से विचार नहीं कर पाती है। ऐसे में संसदीय समितियां इन कामों को करती हैं। दूसरी वजह ये है कि संसद सालभर काम नहीं करती है, लेकिन मंत्रालयों और विभागों का काम तो सालभर जारी रहता है। ऐसे में ये समितियां बहुत सारे कामों को निपटाती हैं।
कितनी तरह की होती हैं समितियां?
संसदीय समितियों 2 तरह की होती हैं- स्थायी समिति और एड हॉक या तदर्भ समिति। एड हॉक समिति का गठन कुछ खास कामों के लिए किया जाता है और एक बार जब ये काम पूरा हो जाता है तो इन समितियों को भंग कर दिया जाता है। वहीं, स्थायी समिति विशेष खासतौर पर मंत्रालय के लिए होती हैं और इनका कार्यकाल एक साल का होता है। कुल 24 स्थायी समितियां होती हैं।
स्थायी समितियां कितने प्रकार की होती हैं?
स्थायी समितियां मुख्य तौर पर 3 तरह की होती हैं- वित्तीय समितियां, विभागों से संबंधित समितियां और दूसरी तरह की स्थायी समितियां। वित्तीय समितियों में प्राक्कलन, लोक लेखा और सरकारी उपक्रमों से संबंधित समिति। प्राक्कलन समिति में सिर्फ लोकसभा सदस्य होते हैं, जबकि लोक लेखा और सरकारी उपक्रमों से संबंधित समितियों में दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। इसके अलावा पूछताछ, जांच और नियंत्रण, सदन के दिन-प्रतिदिन के कार्य और हाउसकीपिंग से संबंधित समितियां भी होती हैं।
कैसे चुने जाते हैं समिति के सदस्य?
कुल 24 समितियों में से 16 लोकसभा और 8 राज्यसभा के द्वारा संचालित होती हैं। हर समिति में 31 सदस्य होते हैं, जिनमें से 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा से चुने जाते हैं। हर समिति का एक अध्यक्ष होता है। अध्यक्ष और सदस्यों को सदन के अध्यक्ष की तरफ से नामित किया जाता है। ये सदन के अध्यक्ष के निर्देशानुसार ही काम करते हैं। कोई केंद्रीय मंत्री समिति का अध्यक्ष नहीं बन सकता।
किस पार्टी के पास कितनी समितियों की अध्यक्षता है?
फिलहाल जिन 24 समितियों का गठन हुआ है, उसमें से 4 की अध्यक्षता कांग्रेस के पास आई है। इनमें विदेश, शिक्षा, कृषि, ग्रामीण मामलों की समिति शामिल हैं। भाजपा 11 समितियों की अध्यक्षता करेगी। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस (TMC) और द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (DMK) को 2 -2, जनता दल यूनाइटेड (JDU), तेलुगु देशम पार्टी (TDP), समाजवादी पार्टी (SP), शिवसेना (एकनाथ शिंदे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP अजित) को एक-एक समिति की अध्यक्षता दी गई है।
किसे मिली किस समिति की जिम्मेदारी?
दिग्विजय सिंह को शिक्षा, चरणजीत सिंह चन्नी को कृषि, अनुराग सिंह ठाकुर को कोयला, खदान और स्टील, निशिकांत दुबे को संचार और IT, राधा मोहन सिंह को सुरक्षा, शशि थरुर को विदेश, भर्तृहरि महताब को वित्त, राजीव प्रताप रूडी को जल संसाधन, सुनील तटकरे को पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, संजय झा परिवहन, पर्यटन और संस्कृति, कनिमोझी को खाद्य और उपभोक्ता मामले, डोला सेन को वाणिज्य और कीर्ति आजाद को रसायन एवं उर्वरक संबंधी समितियों का अध्यक्ष बनाया गया है।