जेल में बंद सांसद कैसे लेते हैं शपथ? जानिए शपथ से जुड़े सभी सवालों के जवाब
18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। इसके बाद प्रोटेम स्पीकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित सदन के अन्य नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई। संविधान के अनुच्छेद 99 के अनुसार, लोकसभा में बहस और मतदान का अधिकार प्राप्त करने के लिए सांसद को सबसे पहले शपथ लेनी होती है। आइए शपथ से जुड़े सभी अहम सवालों के जवाब जानते हैं।
नवनिर्वाचित सदस्यों को कौन दिलाता है शपथ?
नई लोकसभा में अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाता है, ऐसे में राष्ट्रपति नवनिर्वाचित सदस्यों में से सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करता है। उसके बाद राष्ट्रपति सबसे पहले प्रोटेम स्पिकर को शपथ दिलाता है और उसके बाद प्रोटेम स्पीकर शुरुआती सत्रों का संचालन कर अन्य सदस्यों को शपथ दिलाता है। प्रोटेम स्पीकर नए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होने तक उनके सभी कार्याें का निर्वहन करता है और सदन का संचालन भी करता है।
क्या शपथ लेते हैं सांसद?
भारतीय संविधान की तीसरी अनुसूची में संसदीय शपथ का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। अनुसूची में दर्ज शपथ में लिखा है, 'मैं, (सांसद का नाम) लोकसभा का सदस्य निर्वाचित (या नामांकित) होने के बाद ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूं कि मैं कानून द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची आस्था और निष्ठा रखूंगा। मैं सदैव भारत की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखूंगा और अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से निर्वहन करूंगा।'
सांसद कैसे लेते हैं शपथ?
सांसदों को सबसे पहले अपना चुनाव प्रमाणपत्र लोकसभा स्टाफ के पास जमा कराना होता है। यह सुरक्षा उपाय 1957 की एक घटना के बाद जोड़ा गया था, जिसमें मानसिक रूप से अस्वस्थ एक व्यक्ति ने सदन में पहुंचकर शपथ ली थी। प्रमाणपत्र के साथ सांसद को शपथ ली जाने वाली भाषा का भी उल्लेख करना होता है। शपथ के बाद सदस्य प्रोटेम स्पीकर से हाथ मिलाता है। उसके बाद स्पीकर उन्हें अपनी सीट पर बैठने की अनुमति देते हैं।
किन भाषाओं में शपथ ले सकते हैं सांसद?
सांसद अंग्रेजी या संविधान में प्रदत्त 22 भाषाओं में से किसी में भी शपथ ले सकते हैं। ये 22 भाषाएं असमिया, बंगाली, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, संताली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू हैं।
जेल में बंद होने पर कैसे शपथ लेते हैं सांसद?
जेल में बंद सांसदों की शपथ के लिए संविधान में नियम है। उन्हें शपथ के लिए पैरोल दी जाती है। संसद सचिवालय से जेल प्रशासन को सूचना देकर संबंधित सदस्य को शपथ के लिए संसद भेजने की अनुमति देने को कहा जाता है। उसके बाद संबंधित सांसद को संसद आने की अनुमति दी जाती है और शपथ लेकर वह वापस जेल लौट जाते हैं। उन्हें अध्यक्ष को आगामी सत्रों में सदन न आ पाने की सूचना भी देनी होती है।
शपथ न लेने पर क्या होता है?
यदि कोई निर्वाचित सांसद पहले दिन शपथ नहीं लेते हैं तो वह उसी सत्र में किसी अन्य दिन या बाद के सत्र में सदन की बैठक शुरू होने पर ऐसा कर सकते हैं। सांसदों को अनुरोध पर अध्यक्ष के कक्ष में अंतर-सत्र अवधि में भी शपथ लेने की अनुमति दी गई है। हालांकि, संविधान के अनुसार, यदि कोई निर्वाचित सांसद 60 दिनों तक संसद में उपस्थित नहीं होता है तो उनकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
देखने या पढ़ने में अक्षम सांसद कैसे लेते हैं शपथ?
संविधान के अनुसार, यदि कोई सांसद देखने या पढ़ने में अक्षम होता है तो दूसरा सदस्य पहले द्वारा दोहराई गई शपथ को पढ़ सकता है। इससे संबंधित सदस्य की शपथ मान्य हो जाती है। इसी तरह यदि कोई सदस्य बीमार है और हिलने-डुलने में असमर्थ है, तो वह अपनी इच्छा से सदन में निर्धारित अपने स्थान पर ही शपथ ले सकता है। ऐसे मामलों में टेबल पर मौजूद अधिकारी बीमार सदस्य को संबंधित शपथ पत्र सौंपते हैं।
कोर्ट के आदेश पर सदस्यता रद्द होने पर क्या होता है?
यदि कोई व्यक्ति चुनाव याचिका में अदालत के आदेश के परिणामस्वरूप सदस्य नहीं रह जाता है और उसके स्थान पर किसी अन्य को निर्वाचित घोषित किया जाता है, तो उसे फिर से शपथ लेनी होगी और उस पर हस्ताक्षर करने होंगे। इसी तरह यदि निचली अदालत का आदेश उसके निर्वाचन की घोषणा करता है, लेकिन हाई कोर्ट द्वारा फैसला पलट दिया जाता है तो ऐसी स्थिति में दूसरे सदस्य की सदस्यता स्वतः ही रद्द हो जाती है।
सांसदों को कब से निर्वाचित माना जाता है?
कोई व्यक्ति उस तारीख से सदन का सदस्य माना जाता है जिस दिन उसे रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा निर्वाचित घोषित किया जाता है। चुनाव आयोग की अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से उन्हें सांसद के रूप में वेतन और भत्ते मिलना शुरू हो जाते हैं।