क्या होता है वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार इसकी शक्तियों में कैसे करना चाहती है कटौती?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने वक्फ बोर्ड की निरंकुश शक्तियों पर कटौती करने की तैयारी कर ली है। इस संबंध में 5 अगस्त को संसद में विधेयक पेश करने की संभावना है। गत 2 अगस्त को कैबिनेट ने अधिनियम में कुल 40 संशोधन करने को मंजूरी भी दे दी है। इस बीच आइए जानते हैं क्या होता है वक्फ बोर्ड और सरकार क्यों इसकी शक्तियां कम करना चाहती है।
सबसे पहले जानते हैं क्या होता है वक्फ
वक्फ धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए ईश्वर के नाम पर दी गई संपत्ति है। कानूनी शब्दों में वक्फ अधिनियम की धारा 3 के अनुसार, वक्फ का अर्थ किसी व्यक्ति द्वारा किसी चल या अचल संपत्ति को मुस्लिम कानून द्वारा पवित्र, धार्मिक या धर्मार्थ के उद्देश्य से स्थायी रूप से समर्पित करना है। दूसरे शब्दों में अगर किसी संपत्ति का इस्तेमाल लंबे समय तक धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया गया हो, तो उसे वक्फ माना जा सकता है।
क्या होता है वक्फ बोर्ड?
वक्फ अधिनियम 1954 को दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने पारित किया था। इसी अधिनियम के तहत भारत सरकार की ओर से साल 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया के रूप में एक वैधानिक निकाय की स्थापना की गई थी। वर्तमान में प्रत्येक राज्य में एक वक्फ बोर्ड है, जिसके अध्यक्ष, राज्य सरकार के एक या दो नामित सदस्य, मुस्लिम विधायक और सांसद, राज्य बार काउंसिल के मुस्लिम सदस्य और इस्लामी विद्वान होते हैं।
क्या होते हैं वक्फ बोर्ड के कार्य?
वक्फ बोर्ड मुस्लिम धर्म के लिए दान की गई या पीढ़ियों से मुस्लिमों के नाम चल रही संपत्ति की देख-रेख करती है। वक्फ बोर्ड के पास दान दी गई संपत्ति पर कब्जा करने या उसे किसी और को दान देने का भी अधिकार होता है।
वर्तमान में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्तियां हैं?
देश भर में 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 30 वक्फ बोर्ड संचालित हैं, जिनके पास करीब 8.7 लाख चल और 16,173 अचल संपत्तियां हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 9 लाख एकड़ से भी ज्यादा है। देश में भारतीय रेलवे और सेना के बाद वक्फ बोर्ड के पास सबसे ज्यादा जमीन है। 2013 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) सरकार के दौरान वक्फ बोर्डों को और ज्यादा व्यापक अधिकार प्रदान करने के लिए मूल अधिनियम में संशोधन किए गए थे।
वक्फ बोर्ड के खिलाफ कितनी शिकायतें दर्ज हैं?
वक्फ बोर्ड के खिलाफ वर्तमान में 58,000 से अधिक शिकायतें हैं, जिनमें से 18,000 से अधिक न्यायाधिकरणों में और 150 से अधिक हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। सितंबर 2022 में बोर्ड ने तमिलनाडु के बहुसंख्यक हिंदू आबादी वाले थिरुचेंदुरई गांव पर स्वामित्व का दावा कर विवाद खड़ा कर दिया था। बोर्ड का दावा था कि गांव की 389 एकड़ जमीन को 1954 में नियमानुसार मापन के बाद वक्फ संपत्ति के रूप में पंजीकृत किया गया था।
सरकार ने विधेयक में क्या किए हैं प्रस्ताव?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले संशोधित विधेयक में वक्फ बोर्डों का पुनर्गठन, संरचना में बदलाव और वक्फ की संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन सुनिश्चित करना शामिल है। सेंट्रल वक्फ काउंसिल और स्टेट वक्फ बोर्डों की संरचना को बदलने के लिए धारा 9 और धारा 14 में संशोधन करने का प्रस्ताव है। विधेयक में स्टेट वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई विवादित जमीन के नए सत्यापन की मांग करने का भी प्रस्ताव है।
वक्फ बोर्ड के राजस्व की निगरानी करने की भी तैयारी
प्रस्तावित संशोधनों में वक्फ संपत्तियों से प्राप्त होने वाले राजस्व की निगरानी करने की योजना बनाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, देश के सभी वक्फ बोर्ड का सालाना राजस्व 200 करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसे में सरकार उस पर भी नियंत्रण चाहती है।
बदलावों का क्या होगा असर?
जानकारों का मानना है कि इस संशोधन का सीधा असर उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में होगा, जहां वक्फ बोर्ड काफी सक्रिय है और उसके पास बहुत संपत्तियां हैं। सबसे बड़ा बदलाव वक्फ बोर्डों की शक्ति में कटौती का होगा। फिलहाल वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति को वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर सकते हैं। इसके बाद उस संपत्ति को वापस लेने के लिए जमीन के मालिक को कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।
सरकार के कदम का शुरु हुआ विरोध
केंद्र सरकार के इस कदम का विरोध भी शुरू हो चुका है। हैदराबाद के सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "भाजपा शुरू से ही इन बोर्डों और वक्फ संपत्तियों के खिलाफ रही है और उनका हिंदुत्व एजेंडा है। अब अगर आप वक्फ बोर्ड की स्थापना और संरचना में संशोधन करते हैं, तो प्रशासनिक अराजकता होगी, वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खत्म होगी। वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ता है, तो वक्फ की स्वतंत्रता भी प्रभावित होगी।"
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दी चेतावनी
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी बयान जारी कर सरकार को कड़ी चेतावनी दी है। बोर्ड की ओर से कहा गया है कि अगर सरकार वक्फ अधिनियम में कोई भी बदलाव या संशोधन करती है, तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।