क्या आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं के चुनाव लड़ने पर रोक लगाएगा सुप्रीम कोर्ट?
क्या है खबर?
राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए अब सुप्रीम कोर्ट बड़ा कदम उठा सकता है।
शुक्रवार को एक अधिवक्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को आने से रोका जा सकता हैं?
कोर्ट का मानना है कि उसके पुराने आदेशों के बाद भी राजनीति में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में इस पर विचार आवश्यक है।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया सात दिन में प्रस्ताव पेश करने का आदेश
जस्टिस आरएफ नरीमन और एस रवींद्र भट की पीठ ने सुनवाई करते हुए कहा कि चुनाव आयोग द्वारा राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लगाने व राष्ट्रीय हित में कुछ विशेष करने की आवश्यकता है।
चुनाव आयोग ने पार्टियों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को टिकट नहीं दिए जाने का सुझाव दिया। इस पर कोर्ट ने आयोग को एक सप्ताह में प्रस्ताव बनाकर प्रस्तुत करने को कहा है।
इसके अलावा यह भी पूछा कि पुराने आदेशों की कहां तक पालना हुई।
मामला
आपराधिक मामलों में आरोपों का सामना कर रहे नेताओं को लेकर हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई उन नेताओं को लेकर हुई है, जो लंबे समय से आपराधिक मामलों में आरोपों का सामना कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उन पर अपराध सिद्ध नहीं हुए हैं। उन्हें कानूनी रूप से संदिग्ध के रूप में देखा जाता है।
ऐसे में अदालत गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना करने वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से रोकने की आवश्यकता पर विचार कर रही है। इसके लिए ही आयोग को प्रस्ताव तैयार करने को कहा गया है।
याचिका
याचिकाकर्ता ने कही 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का प्रभावी असर नहीं होने की बात
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2018 में दिए गए निर्देश से राजनीति में अपराधीकरण पर रोक लगाने में मदद नहीं मिल रही है।
उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवार और पार्टियों, दोनों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड को कम से कम तीन बार समाचार पत्रों और टीवी चैनलों में प्रकाशित कराने को कहा था, लेकिन उम्मीदवारों ने इसे कम लोकप्रिय समाचार पत्रों में प्रकाशित कराकर अपना बचाव कर लिया।
रिकॉर्ड
आयोग के वकील ने प्रस्तुत किया चौंकाने वाला रिकॉर्ड
चुनाव आयोग की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह ने कोर्ट में चौंकाने वाला रिकॉर्ड प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से 2018 में दिए गए आदेश का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।
2019 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले 43% से अधिक उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। ऐसे में अब कोर्ट को राजनीतिक पार्टियों को ही आपराधिक प्रवृति वाले उम्मीदवारों को टिकट नहीं देने के लिए कहना चाहिए।
जांच
प्रस्ताव की जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट देगा फैसला
चुनाव आयोग की ओर से दिए गए प्रस्ताव की सराहना करते हुए कोर्ट ने आयोग व याचिकाकर्ता दोनों को एकसाथ मिलकर राजनीति में अपराधिकरण को रोकने के लिए एक सप्ताह में बेहतर प्रस्ताव देने को कहा।
कोर्ट अगली तारीख पर उस प्रस्ताव की जांच करेगी और उसके बाद ही फैसला दिया जाएगा। ऐसे में दोनों को इस मामले को एक-दूसरे पर मुकदमेबाजी न मानते हुए राष्ट्रीय हित के लिए एक बेहतरीन प्रस्ताव तैयार करना चाहिए।
स्थिति
233 सांसदों की है आपराधिक पृष्ठभूमि
TOI की रिपोर्ट के अुनसार लोकसभा चुनाव 2019 में जीत हासिल करने वाले 539 सांसदों में से 233 आपराधिक पृष्ठभूमि से हैं। यदि इसकी 2009 के लोकसभा चुनावों से तुलना की जाए तो आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं की संख्या में 44% की वृद्धि हुई है।
इनके खिलाफ दर्ज मामलों में से करीब 29% बलात्कार, हत्या, हत्या के प्रयास के हैं।
वर्ष 2009 में 162 और 2014 में 185 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज थे।