कौन है DSP देविंदर सिंह और क्या है आतंकी अफजल से उनका संबंध? जानें पूरी कहानी!
श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर काजीगुंड के मीर बाजार के पास शनिवार को हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकियों के साथ श्रीनगर में तैनात पुलिस उप अधीक्षक (DSP) देविंदर सिंह के दबोचे जाने के बाद देश की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। आतंकियों के साथ उनकी मौजूदगी से सुरक्षा एजेंसियां भी सकते में आ गई और उनसे गहन पूछताछ कर रही है। आइए जानते हैं कौन हैं देविंदर सिंह और क्या है आतंकी अफजल से उनका संबंध।
1990 के दशक में हुए थे पुलिस में शामिल
रिपोर्ट्स के अनुसार देविंदर सिंह सालों से श्रीनगर की बादामी बाग छावनी के पास इंद्र नगर में रहते हैं और वर्तमान में श्रीनगर हवाई अड्डे पर अपहरण रोधी इकाई में तैनात थे। उन्होंने 1990 के दशक में स्वेच्छा पुलिस प्रतिवाद शाखा को ज्वॉइन किया था। 1994 में इस शाख को पुलिस से हटा दिया गया और बाद में इसे विशेष संचालन समूह का नाम दिया गया था।
साल 2000 में हिरासत में कैदियों की मौत के मामले में उछला था नाम
देविंदर का नाम साल 2000 में श्रीनगर के बुदनी जिले में हिरासत में कैदियों की मौत होने के मामले में पहली बार उछला था। उस दौरान वह विशेष परिचालन समूह के उप अधीक्षक थे। मामले में बड़े स्तर पर लोगों के विरोध जताने पर सरकार ने उनका तबादला कर दिया था। इसके बाद साल 2015 में आम लोगों से जबरन पैसा वसूलने और झूठे मामले दर्ज करने को लेकर दर्ज हुई FIR में भी उनका नाम शामिल था।
आतंकी अफजल गुरू ने किया था बड़ा खुलासा
देविंदर का नाम साल 2001 में हुए संसद हमले को लेकर सबसे ज्यादा विवादों में रहा था। संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू ने साल 2004 में वकील को लिखे पत्र में उन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसने लिखा था कि DSP सिंह ने संसद हमले के आरोपियों में से एक की मदद करने के लिए दबाव बनाया था। इसमें आरोपी को दिल्ली ले जाने, उसके रहने और एक कार की व्यवस्था करने के लिए कहा गया था।
अफजल गुरू ने लगाए थे अवैध वसूली के आरोप
अफजल ने अपने वकील को लिखे पत्र में देविंदर पर अवैध वसूली का भी आरोप लगाया था। आरोप था कि गिरफ्तारी के बाद देविंदर अफजल को STF कैंप में ले गए और जमकर प्रताड़ित किया। पैसों की मांग के लिए उनके एक इंस्पेक्टर ने उसे तीन घंटे नग्न कर मारपीट की और करंट लगाया। इस पर उसने 10 लाख रुपए देना स्वीकार किया, लेकिन वह 80,000 ही जुटा सका। बाद में देविंदर ने उसका स्कूटर भी ले लिया था।
देविंदर ने स्वीकार की थी प्रताड़ना की बात
अफजल गुरू की ओर से प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने के बाद साल 2006 में मशहूर पत्रकार परविज़ बुखारी ने देविंदर सिंह का साक्षात्कार लिया था। जिसमें उन्होंने अफजल गुरु को प्रताड़ित करने की बात स्वीकार की थी।
2013 में राजनीतिक दलों ने उठाई थी जांच की मांग
अफजल गुरू की ओर से देविंदर पर आरोप लगाए जाने के बाद भी सुरक्षा एजेंसियों को उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले और कोई कार्रवाई नहीं की गई। 2013 में अफजल गुरू को फांसी पर लटका दिया गया। उस दौरान कश्मीर के कई राजनीतिक दलों ने अफजल गुरू के आरोपों के आधार पर देविंदर पर फिर से जांच बैठाने की मांग की थी, लेकिन उस पर ध्यान नहीं दिया गया।
कार्रवाई के बदले राष्ट्रपति अवार्ड से किया गया था सम्मानित
देविंदर पर इतने संगीन आरोप लगने के बाद भी सरकार ने उस पर ध्यान नहीं दिया और कुलगाम में उनकी बहादुरी के लिए गत 15 अगस्त को दिल्ली में राष्ट्रपति अवार्ड से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, SOG में तैनाती के दौरान आतंकवाद के खिलाफ सफल ऑपरेशन चलाने के लिए उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर निरीक्षक से उप अधीक्षक बनाया गया था। ऐसे में अब उनके पकड़े जाने पर पुलिस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
आतंकियों के साथ गिरफ्तार होने पर पुलिस ने दी सफाई
शनिवार को देविंदर के हिजबुल के दो आतंकियों के साथ पकड़े जाने के बाद फिर से अफजल गुरू के आरोपों का मामला गरमा गया है। गिरफ्तार के बाद आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने सफाई देते हुए कहा कि पुलिस को संसद हमले के मामले में देविंदर की कथित भूमिका के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और न ही ऐसा कोई मामला उनके रिकॉर्ड पर था।
आतंकियों को दिल्ली लाने में कर रहे थे मदद
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शनिवार को श्रीनगर-जम्मू हाइवे पर काजीगुंड के मीर बाजार के पास कार से देविंदर सिंह सहित हिजबुल कमांडर सैयद नवीद मुश्ताक और उसका सहयोगी आसिफ राथर को गिरफ्तार किया था। देविंदर सिंह उन्हें दिल्ली ले जा रहे थे। इसके बाद पुलिस ने श्रीनगर और दक्षिण कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे गए। जहां से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए हैं। आतंकी नवीद को IED बम बनाने में भी महारत हासिल है।