
नागरिकता कानून: भाजपा नेता ने उठाए सवाल, पूछा- मुसलमान क्यों नहीं शामिल?
क्या है खबर?
नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों के बीच अब भारतीय जनता पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वर उठने लगे हैं।
पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर सवाल उठाते हुए कहा कि भारत सभी धर्मों और समुदायों के लिए खुला है।
बोस ने इस कानून पर सोमवार रात को सवाल उठाए, जबकि उनकी पार्टी ने दिन में पश्चिम बंगाल में इस कानून के समर्थन में रैली निकाली थी।
सवाल
मुसलमानों को कानून में क्यों शामिल नहीं किया गया- बोस
सोमवार रात को किए ट्वीट में बोस ने लिखा, "अगर CAA किसी धर्म से जुड़ा नहीं है तो हम केवल हिंदू, सिख, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई, पारसी और जैन की बात क्यों कर रहे हैं। मुसलमानों को इसमें शामिल क्यों न करें? पारदर्शिता दिखाएं।"
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परपोते चंद्र कुमार बोस ने एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा कि भारत की किसी दूसरे देश के साथ तुलना मत करिये। यह सभी धर्म और समुदायों के लिए खुला है।
पश्चिम बंगाल
सोमवार को निकाली गई अभिनंदन यात्रा
सोमवार को ही भाजपा ने पश्चिम बंगाल में इस कानून के समर्थन में 'अभिनंदन यात्रा' निकाली थी।
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा खुली जीप में सवार होकर, जबकि दूसरे नेता पैदल सड़क पर चल रहे थे। नागरिकता कानून बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का धन्यवाद करने के लिए यह रैली निकाली गई थी।
पार्टी का मानना है कि इससे बांग्लादेश से बंगाल में आए बंगाली हिंदूओं को नागरिकता मिलेगी, जो चुनावों में उसको फायदा पहुंचा सकती है।
बदलाव
शिरोमणि अकाली दल भी कर चुका कानून में बदलाव की मांग
भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल (SAD) भी नागरिकता संशोधन कानून में बदलाव की मांग कर चुकी है।
पार्टी का कहना है कि देश के लोकतांत्रिक और धर्म निरपेक्ष सिद्धांतों को देखते हुए मुसलमानों को भी इस कानून में शामिल किया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि शीतकालीन सत्र में संसद से पारित होने वाले नागरिकता कानून के खिलाफ देशभर में छात्र और आम लोग सड़कों पर उतर आए हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती दी गई है।
कानून और विरोध
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन कानून के तहत 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर आए हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकेगी।
इस कानून से मुसलमानों को बाहर रखा गया है। यही इसके खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों की सबसे बड़ी वजह है।
विरोध कर रहे लोगों का कहना है धर्म के आधार पर भारत में किसी व्यक्ति के खिलाफ भेदभाव नहीं हो सकता।