अलविदा 2019: जानिए सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कौन-कौन से बड़े फैसले सुनाए
राजनीति में उथल-पुथल के बीच 2019 सुप्रीम कोर्ट के लिए भी काफी व्यस्त साल रहा और इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के पास कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र के सियासी संकट से संबंधित मामले भी आते रहे। लेकिन इन सियासी मामलों से अलग सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में कई ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण फैसले भी सुनाए। आइए इस साल सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के ऐसे ही कुछ अहम फैसलों पर एक नजर डालते हैं।
अयोध्या जमीन विवाद में सुनाया ऐतिहासिक फैसला
2019 में अयोध्या विवाद पर सुनाया गया सुप्रीम कोर्ट का फैसला उसका सबसे बड़ा फैसला रहा। 9 नवंबर को देश के सबसे पुराने जमीन विवादों में शामिल अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान को सौंपने और वहां राम मंदिर बनाने का आदेश दिया। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का आदेश भी दिया गया।
पुनर्विचार याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने किया खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र सरकार को तीन-चार महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने और मस्जिद के लिए जमीन निर्धारित करने का आदेश दिया। इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं भी दायर की गईं जिन्हें कोर्ट ने खारिज कर दिया।
राफेल सौदे में जांच की मांग करती पुनर्विचार याचिकाओं को किया खारिज
14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल विमान सौदे में 2018 के अपने फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं को भी खारिज कर दिया। अपने पुराने फैसले में कोर्ट ने सौदे में कथित घोटाले के आरोपों की जांच की मांग को खारिज करते हुए कहा था कि वो बिना ठोस सबूतों के रक्षा सौदे में दखल नहीं देगा। इस फैसले के खिलाफ नए सबूतों के साथ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं थीं, लेकिन कोर्ट ने इन्हें भी खारिज कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश के RTI के दायरे में आने का बड़ा फैसला
इससे पहले 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) के सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में आने का बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2009 के उस फैसले को बरकरार रखा था जिसमें उसने कहा था कि CJI और सुप्रीम कोर्ट RTI के अंतर्गत आते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि पारदर्शिता न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम नहीं करती।
न्यायिक प्राधिकरण में नियुक्ति के नए नियमों को किया खारिज
13 नवंबर को ही तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय सुप्रीम कोर्ट बेंच ने वित्त अधिनियम 2017 के तहत न्यायिक प्राधिकरणों में नियुक्ति के नए नियमों को रद्द कर दिया। इन नियमों में प्राधिकरणों में नियुक्ति पर केंद्र सरकार को अधिक अधिकार दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इसे न्यायिक व्यवस्था की स्वतंत्रता में सरकार की दखलअंदाजी मानते हुए पुराने नियमों के हिसाब से ही नियुक्ति करने का आदेश दिया।
निर्भया गैंगरेप के दोषी की पुनर्विचार याचिका को किया खारिज
18 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। अक्षय ने मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की थी और राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने के लिए समय मांगा था। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को ट्रायल के दौरान अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था और दलीलों में कुछ भी नया नहीं है जिसके आधार पर याचिका को स्वीकार किया जा सके।