
NCP चिन्ह को लेकर शरद पवार सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, भतीजे अजित के खिलाफ की ये मांग
क्या है खबर?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में अधिकारों को लेकर विवाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है।
NCP के संस्थापक शरद पवार ने सुप्रीम कोर्ट में भतीजे अजित पवार के खिलाफ एक नई अर्जी दाखिल की है। इसमें उन्होंने कोर्ट से अजित को महाराष्ट्र के आगामी विधानसभा चुनावों में 'घड़ी' चिह्न का उपयोग करने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की है।
इस मामले पर 15 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
मांग
शरद ने क्या मांग की?
शरद ने याचिका में कहा है कि हालिया लोकसभा चुनाव के दौरान शरद पवार गुट ने 'तुरहा फूंकने वाले आदमी' और अजित पवार ने 'घड़ी' चिन्ह का इस्तेमाल किया था। इससे मतदाताओं को इस संबंध में भारी भ्रम और दुविधा का सामना करना पड़ा।
मतदाता भ्रम में थे कि NCP का प्रतिनिधित्व कौन कर रहा है। शरद ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वो अजित को नए चिन्ह के लिए आवेदन करने के निर्देश दे।
याचिका
शरद ने याचिका में क्या कहा?
आवेदन में लिखा है, "भ्रम के कारण अजित को अनुचित चुनावी लाभ मिला और शरद को लोकसभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़ा। वास्तव में, अजित 'घड़ी' प्रतीक और शरद के बीच लंबे समय से चली आ रही संबद्धता के कारण लोगों के मन में मौजूदा भ्रम का फायदा उठा रहा है। इसलिए कोर्ट NCP के चुनाव चिह्न और अध्यक्ष के रूप में समानता के संबंध में मतदाताओं के मन में भ्रांति को दूर करके निष्पक्षता और समान अवसर सुनिश्चित करे।"
मामला
NCP में कैसे हुआ था बंटवारा?
पिछले साल 2 जुलाई को अजित ने NCP से बगावत करते हुए महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार को समर्थन दे दिया था।
उनके साथ NCP के 12 विधायक भी थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया और खुद अजित उपमुख्यमंत्री बने। बाद में अजित को वित्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली।
अजित की उठापटक से NCP में 2 फाड़ हो गई थी और इसके बाद से ही अजित और शरद पार्टी पर अधिकारों को लेकर आमने-सामने हैं।
असली NCP
चुनाव आयोग ने अजित गुट को माना था असली NCP
NCP पर अधिकार की लड़ाई चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली गई थी।
विधानसभा अध्यक्ष और चुनाव आयोग ने अजित को असली NCP करार दिया था। आयोग ने विधायकों की संख्या को देखते हुए अजित खेमे के पक्ष में फैसला सुनाया और अजित को NCP का नाम और चुनाव चिन्ह दे दिया था।
बाद में चुनाव आयोग ने शरद गुट से नाम और चिन्ह को लेकर सुझाव मांगे थे और अंतत: 'तुरहा फूंकता आदमी' चिन्ह आवंटित किया था।