#NewsBytesExplainer: NCP में बगावत के जरिए भाजपा की लोकसभा चुनाव के लिए क्या रणनीति है?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) दो धड़ों में बंट गई। NCP नेता अजित पवार और 8 अन्य विधायक महाराष्ट्र सरकार का हिस्सा बन गए हैं।
भाजपा ने यह दांव लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच खेला है। भाजपा केंद्र की सत्ता पर काबिज रहने के लिए 2024 लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीटें जीतना चाहती है और उसकी नजर महाराष्ट्र की 48 सीटों पर है।
आइए जानते हैं कि इस कदम के पीछे भाजपा की क्या रणनीति है।
प्लान
क्या है भाजपा का लक्ष्य?
उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सबसे अधिक लोकसभा सीटें हैं और भाजपा यहां मराठा और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) वोटबैंक में सेंधमारी की कोशिश में है।
इसके लिए उसे NCP और शिवसेना जैसी पार्टियों को या तो कमजोर करना होगा या मतभेद भुलाकर उन्हें अपने साथ लाना होगा।
इसी कारण भाजपा NCP और शिवसेना के एक-एक धड़े को अपने साथ लाई है।
चुनाव
महाराष्ट्र में OBC और मराठा क्यों अहम?
महाराष्ट्र में करीब 35 फीसदी मराठा मतदाता हैं और करीब 50 से 52 फीसदी OBC मतदाता हैं। भाजपा की नजर हमेशा से मराठा और OBC वोटबैंक पर रही है।
यहां मराठा सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली समुदाय है, जो आबादी का लगभग एक तिहाई है। अब तक महाराष्ट्र के 12 मुख्यमंत्री मराठा समुदाय से रहे हैं।
हालांकि, इनके वोटबैंक पर शिवसेना और NCP का प्रभुत्व रहा है, जो महाराष्ट्र से जन्मीं स्थानीय पार्टियां हैं।
राजनीति
मराठाओं को लुभाने के लिए भाजपा ने क्या-क्या किया?
भाजपा ने 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र में अपने पारंपरिक OBC वोटबैंक के अलावा मराठा वोटबैंक को मजबूत किया। इनके आधार पर वह निगमों सहित कई निकाय चुनाव में जीत हासिल करने में कामयाब रही।
मराठों को लुभाने के लिए भाजपा ने शिक्षा और नौकरियों में मराठियों के लिए आरक्षण व्यवस्था लागू की और शीर्ष पदों पर मराठी नेताओं को नियुक्त किया।
हालांकि, 2019 चुनाव में NCP ने 'मराठा गौरव' का कार्ड खेलकर उसकी पूरी मेहनत पर पानी फेर दिया।
प्रयास
NCP को तोड़कर क्या करना चाहती है भाजपा?
महाराष्ट्र में भाजपा का लक्ष्य NCP के प्रभाव वाली लोकसभा सीटों पर काबिज होना है। NCP के बागी नेताओं के साथ आने के बाद भाजपा को उन 12 लोकसभा सीट पर बढ़त की उम्मीद है, जो NCP का गढ़ मानी जाती हैं।
कोंकण क्षेत्र में उदय सामंत, नारायण राणे, सुनील तटकरे और दिलीप केसरकर जैसे मंत्रियों का प्रभाव है। इसके अलावा नासिक में छगन भुजबल, बीड और मराठवाड़ा में धनंजय मुंडे और पश्चिमी महाराष्ट्र में अजित पवार का दबदबा है।
विस्तार
कैसे संगठन को मजबूत कर रही भाजपा?
भाजपा अब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के रूप में मराठा नेता एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित के साथ मिलकर दोनों पार्टियों के गढ़ों में सेंध लगाने के अलावा अपने संगठन का विस्तार कर रही है।
भाजपा की राज्य इकाई ने पहले ही मंत्रियों को एक महीने में कम से कम 4 जिलों को दौरा करने को कहा है।
भाजपा का फोकस 97,000 बूथों को पुनर्जीवित करने पर है और प्रत्येक बूथ पर कम से कम 30 कार्यकर्ता पूर्णकालिक काम करते हैं।
शरद पवार
भाजपा की राह में सबसे बड़ा रोड़ा कौन?
महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती 82 वर्षीय NCP प्रमुख शरद पवार हैं। उन्होंने पार्टी में बगावत के बाद कहा कि जो भी हुआ, वह उनके लिए नया नहीं है और वह पार्टी को दोबारा खड़ा करेंगे।
NCP प्रमुख से भाजपा को खतरा है क्योंकि महा विकास गठबंधन करके वह पहले भी भाजपा को छका चुके हैं। इसके अलावा वह लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों के गठबंधन के मुख्य सूत्रधार भी हैं।
चुनौती
भाजपा के सामने और क्या चुनौती?
भाजपा के लिए महाराष्ट्र में कुछ और चुनौतियां भी है, जिनमें शिंदे की अयोग्यता को लेकर जारी कानूनी लड़ाई प्रमुख है।
इसके अलावा भाजपा भ्रष्टाचार को लेकर NCP पर हमलावर रही है, लेकिन अब NCP के जो नेता उसके साथ आए हैं, उनमें से अधिकांश पर भ्रष्टाचार के मुकदमे हैं।
शिंदे गुटे और अजित गुट को साथ लाना भी उसके लिए बड़ी चुनौती होगा क्योंकि शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत के लिए अजित को जिम्मेदार ठहराया था।
मुश्किल
शिंदे और अजित को साथ लाना कठिन क्यों है?
सत्तारूढ़ गठबंधन में NCP का प्रवेश शिंदे और उनके नेतृत्व वाली शिवसेना के लिए अपनी चुनावी योग्यता और प्रासंगिकता साबित करना महत्वपूर्ण बना देता है।
इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पदों पर शिंदे गुट के विधायकों की जगह अजित गुट के नेताओं को जगह मिल सकती है, जिससे गठबंधन में असंतोष पनप सकता है।
हालांकि, अगर भाजपा को अपनी रणनीति को सफल बनाना है तो उसे इन दोनों गुटों को साथ रखना होगा, जो आसान नहीं है।