ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर किया मुख्य सचिव को कार्यमुक्त करने से इनकार
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और केंद्र सरकार के बीच फिर से तकरार शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को वापस दिल्ली बुलाते हुए सोमवार सुबह कार्मिक कार्यालय में रिपोर्ट करने के आदेश दिए थे, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें कार्य मुक्त करने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आदेश पर दोबारा विचार करने को कहा है।
केंद्र सरकार ने शनिवार को जारी किए थे आदेश
बता दें कि गत शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी यास चक्रवात से हुए नुकसान का मुआयना करने के लिए पश्चिम बंगाल के दौरे पर गए थे। यहां पर उनकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दूसरे बड़े अधिकारियों के साथ बैठक होनी थी, लेकिन बनर्जी और मुख्य सचिव करीब 30 मिनट की देरी से बैठक में पहुंचे थे। इसके अगले ही दिन केंद्र सरकार ने मुख्य सचिव को वापस दिल्ली बुलाते हुए कार्मिक मंत्रालय में रिपोर्ट करने के आदेश जारी किए थे।
24 मई को बढ़ाया गया था बंदोपाध्याय का कार्यकाल
बता दें कि मुख्य सचिव बंदोपाध्याय 31 मई को ही सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन गत 24 मई को ही राज्य में कोरोना महामारी से निपटने में मदद के लिए बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का आदेश जारी किया गया था।
ममता बनर्जी ने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं करने का यह बताया कारण
केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार मुख्य सचिव बंदोपाध्याय को 31 मई की सुबह 10 बजे पहले से कार्मिक मंत्रालय में रिपोर्ट करनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री बनर्जी ने उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर कहा, 'पश्चिम बंगाल सरकार ऐसी मुश्किल घड़ी में अपने मुख्य सचिव को कार्यमुक्त नहीं कर सकती और न ही कर रही है।' उन्होंने केंद्र से फैलसे पर पुनर्विचार करते हुए आदेश को रद्द करने की मांग की है।
बनर्जी ने आदेश को बताया कि पूरी तरह से असंवैधानिक
बनर्जी ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के आदेश को पूरी तरह से असंवैधानिक और कानूनी रुप से अस्थिर करार दिया है। उन्होंने कलाईकुंडा का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या इस आदेश के पीछे कलाईकुंडा मीटिंग का कुछ लेना-देना है? उन्होंने कहा, 'मैं पूरी ईमानदारी से उम्मीद करती हूं ऐसा कोई कारण नहीं रहा होगा लेकिन यदि ऐसा है, तो यह बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। क्योकि जनता के हित के अनुसार ही हम अपनी प्राथमिकताएं तय करते हैं।'
क्या है केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के नियम?
NDTV के अनुसार केंद्र सरकार प्रतिवर्ष केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक अखिल भारतीय सेवाओं IAS, IPS और भारतीय वन सेवा के अधिकारियों की "प्रस्ताव सूची" मांगती है। इसके बाद सूची से अधिकारियों का चयन किया जाता है। IAS संवर्ग नियमों के नियम 6(1) में कहा गया है कि एक अधिकारी, "संबंधित राज्य और केंद्र सरकार की सहमति से केंद्र या किसी अन्य राज्य में प्रतिनियुक्त किया जा सकता है। इसी तरह असहमति में केंद्र का निर्णय प्रभावी होता है।
ममता बनर्जी के इनकार करने के बाद अब आगे क्या?
अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन और अपील) नियम, 1969 के नियम 7 में कहा गया है कि यदि कोई भी अधिकारी किसी भी राज्य में सेवा दे रहा है तो उस पर किसी भी मामले में कार्यवाही शुरू करने और जुर्माना लगाने का अधिकार राज्य सरकार का होगा। इसी तरह नियम यह भी कहता है कि अखिल भारतीय सेवाओं के किसी भी अधिकारी के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए राज्य और केंद्र दोनों के सहमत होने की आवश्यकता है।
मौजूदा स्थिति में अब ये हो सकते हैं विकल्प
मुख्य सचिव बंदोपाध्याप के पास अब चीन विकल्प हैं। पहला यह है कि बंदोपाध्याय राज्य सरकार से मिले सेवा विस्तार को अस्वीकार कर 31 मई को ही सेवानिवृत्त हो जाएं और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति छोड़ दें। दूसरा यह है कि वह मुख्य सचिव के रूप में सेवा विस्तार लेकर पद पर बने रहे, लेकिन उन्हें केंद्र की अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। तीसरा यह है कि वह केंद्र को रिपोर्ट करें और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर कार्य जारी रखें।