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लॉकडाउन का एक साल: कब-क्या हुआ और वायरस से लेकर अर्थव्यवस्था तक इसका क्या असर पड़ा?

लॉकडाउन का एक साल: कब-क्या हुआ और वायरस से लेकर अर्थव्यवस्था तक इसका क्या असर पड़ा?

Mar 25, 2021
02:26 pm

क्या है खबर?

भारत में आज कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन को एक साल हो गया है और आज ही के दिन से पूरे देश में लोगों के घर से निकलने तक पर पाबंदी लगा दी गई थी। इसके बाद 54 दिन तक देश में लगभग पूर्ण लॉकडाउन रहा और इसके बाद भी मामूली राहतें प्रदान की गईं। चलिए लॉकडाउन में कब क्या हुआ और इससे क्या असर पड़ा, इस पर एक नजर डालते हैं।

शुरुआत

भारत में 30 जनवरी को पहला मामला, 2 मार्च से महामारी की असली शुरूआत

भारत में 30 जनवरी, 2020 को चीन के वुहान से लौटी केरल की एक छात्रा को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया और वह देश में कोरोना वायरस का पहला मामला बनी। हालांकि देश में महामारी की असली शुरूआत 2 मार्च से हुई और इस दिन दिल्ली और तेलंगाना में कोरोना वायरस से संक्रमण का एक-एक मामला सामने आया। जल्द ही 14 मार्च तक देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 100 के पार पहुंच गई।

लॉकडाउन

24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने किया 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान

मार्च तक दुनियाभर में कोरोना वायरस फैल चुका था और इटली जैसे कई देशों में इससे रोजाना सैकड़ों मौतें हो रही थीं। इन देशों में संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया और भारत में भी ऐसी स्थिति न हो, इसे रोकने के लिए लॉकडाउन पर विचार किया जाने लगा। आखिरकार 24 मार्च को देश के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में 25 मार्च से 14 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर दिया।

दूसरा और तीसरा चरण

पहले 3 मई और फिर 17 मई तक बढ़ाया गया लॉकडाउन

14 अप्रैल को जब लॉकडाउन का पहला चरण खत्म हुआ, तब भी देश में कोरोना वायरस के मामलों की वृद्धि दर 13 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी हुई थी और इसी कारण लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा दिया गया। 3 मई तक मामलों की वृद्धि दर में सुधार तो हुआ और ये घटकर 6.1 प्रतिशत पर आ गई, लेकिन फिर भी सरकार ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाने की जरूरत समझी और इसे 17 मई तक बढ़ा दिया गया।

राहतें

17 मई से लॉकडाउन में ढील, 1 जून से अनलॉक

इस बीच मामले भी धीरे-धीरे बढ़ते गए और 17 मई के बाद लॉकडाउन में ढील के बाद इनमें बहुत तेजी से इजाफा होने लगा। 18 मई को संक्रमितों की संख्या एक लाख के आंकड़े को पार कर गई और 16 जुलाई को ये आंकड़ा 10 लाख के आंकड़े को पार कर गया। आधिकारिक तौर पर 1 जून से अनलॉक की शुरूआत हुई और इसके बाद धीरे-धीरे लगभग सभी गतिविधियों को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दे दी गई।

असर

प्रवासी मजदूरों के संकट ने देश को रुलाया, हतप्रभ रह गई सरकार

लॉकडाउन का लोगों के जीवन और रोजगार पर बहुत बुरा असर देखने को मिला और देश को अभूतपूर्व प्रवासी संकट का सामना करना पड़ा। लॉकडाउन के कारण रोजगार जाने की वजह से प्रवासी मजदूर शहरों में ही फंस गए और हर रास्ता बंद होने के बाद पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े। करोड़ों मजदूरों को सड़क पर देखकर सरकार समेत सभी हतप्रभ रह गए। घर लौटते वक्त सैकड़ों मजदूरों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।

बेरोजगारी

अकेले अप्रैल में 12.2 करोड़ लोगों को गंवानी पड़ी नौकरियां

अन्य कामगारों पर भी लॉकडाउन का बहुत असर देखने को मिला और सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट के अनुसार अकेले अप्रैल में देश में लगभग 12.2 करोड़ लोगों की नौकरियां गईं। कुल मिलाकर लॉकडाउन के दौरान 20 करोड़ से अधिक नौकरियां जाने का अनुमान लगाया गया। इस दौरान 3 मई को देश में बेरोजगारी दर 27.1 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। हालांकि अनलॉक के बाद नौकरियों की वापसी हुई और बेरोजगारी दर कम हो गई।

डाटा

लॉकडाउन के कारण तबाह हो गई अर्थव्यवस्था

पूरी अर्थव्यवस्था पर लॉकडाउन के असर की बात करें तो इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग बर्बाद कर दिया और अप्रैल-जून की तिमाही में देश की विकास दर नेगेटिव 23.9 प्रतिशत रही। यह अब तक की सबसे कम विकास दर है।

वायरस पर असर

कोरोना वायरस महामारी पर लॉकडाउन का क्या असर पड़ा?

भारत लॉकडाउन की मदद से महामारी को पूरी तरह काबू करने में नाकामयाब रहा, हालांकि इसने महामारी की रफ्तार को धीमा करने का बेहद महत्वपूर्ण काम किया। इससे सरकार को स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने का समय मिल गया और इसे बुरी परिस्थितियों के लिए तैयार किया गया। अगर लॉकडाउन की वजह से यह अतिरिक्त समय नहीं मिलता तो तस्वीर अधिक भयावह हो सकती थी और कोरोना के कारण लाखों अतिरिक्त लोगों की जान जा सकती थी।