मणिपुर: मुख्यमंत्री की बैठक से गायब रहे 19 विधायक, क्या गिर जाएगी बीरेन सिंह की सरकार?
मणिपुर में भड़की ताजा हिंसा की आंच अब मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार तक पहुंच रही है। राज्य की भाजपा सरकार के बीच कलह तब और बढ़ गई, जब कई विधायकों ने मुख्यमंत्री की बैठक में हिस्सा नहीं लिया। 19 नवंबर को मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की बैठक में 37 में से 19 भाजपा विधायक शामिल नहीं हुए। इसमें कुकी और मैतेई दोनों समुदाय के विधायक शामिल हैं।
कौन-कौनसे विधायक रहे गायब?
बैठक में शामिल नहीं होने वाले भाजपा के 19 विधायकों में से 7 कुकी हैं। ये हिंसा के बाद से ही बैठकों में शामिल नहीं हो रहे हैं। इसके अलावा बड़ा नाम भाजपा के ग्रामीण विकास मंत्री युम्नम खेमचंद सिंह का है। भाजपा के 3 और नागा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के एक विधायक ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए बैठक से दूरी बना ली। इसके अलावा निर्दलीय और NDA में शामिल दूसरी पार्टियों के विधायक बिना बताए गायब रहे।
क्या सरकार पर है खतरा?
मणिपुर विधानसभा में 60 सीटें हैं और बहुमत का आंकड़ा 31 है। 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 32 सीटें जीती थीं और कुछ समय बाद जनता दल युनाइटेड के 5 विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। यानी अब भाजपा के खुद के 37 विधायक हैं। हाल ही में नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। NPP के पास विधायक थे। इसके बावजूद राज्य सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
मैतेई संगठन ने दिया अल्टीमेटम
मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई बैठक में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ पूरी ताकत से कार्रवाई करने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इन उग्रवादियों पर जिरीबाम में विस्थापितों के लिए बने शिविर में 6 मैतेई की हत्या का संदेह है। इस बीच मैतेई संगठन ने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। छात्र संघ मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति के प्रवक्ता ने कहा कि 24 घंटों के भीतर सरकार इस प्रस्ताव की समीक्षा करे और बेहतर प्रस्ताव लेकर आए।
मुख्यमंत्री बोले- हत्या करने वाले आतंकियों के लिए कोई जगह नहीं
मुख्यमंत्री सिंह ने कहा, 'मैं जिरीबाम में कुकी आतंकवादियों द्वारा परिवार के लोगों को बंधक बनाने और 3 निर्दोष बच्चों और 3 महिलाओं की निर्मम हत्या किए जाने की घटना की निंदा करता हूं। इस तरह के बर्बर कृत्यों की सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है। मैं भरोसा दिलाता हूं कि इन आतंकियों को जल्द ही न्याय के कठघरे में लाया जाएगा। जब तक उन्हें उनके अमानवीय कृत्य के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाएगा, हम चैन से नहीं बैठेंगे।'
मणिपुर में दोबारा क्यों भड़की हिंसा?
दरअसल, 11 नवंबर को जिरिबाम जिले के जकुराडोर करोंग इलाके में बोरोबेकेरा पुलिस स्टेशन और CRPF चौकी पर कुकी उग्रवादियों ने हमला कर दिया था। इसके बाद सुरक्षाबलों ने 10 उग्रवादियों को मार गिराया था। इस दौरान उग्रवादी मैतेई समुदाय की महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर ले गए थे। बाद में इनकी लाश मिली थी। इसके बाद से गुस्साई भीड़ ने 3 मंत्री और 6 विधायकों के घर जला दिए और कई जगहों पर हिंसा फैल गई।