दिल्ली: केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ AAP को मिला कांग्रेस का साथ
कांग्रेस दिल्ली के अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर से जुड़े केंद्र सरकार के अध्यादेश के मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) का समर्थन करेगी। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि दिल्ली के अध्यादेश पर उनकी पार्टी का मत स्पष्ट है और कांग्रेस अध्यादेश का विरोध करेगी। इस पर AAP सांसद राघव चड्ढा ने ट्ववीट कर कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश का स्पष्ट विरोध करने की घोषणा की है, जो एक सकारात्मक कदम है।
जयराम रमेश ने कल दिया था समर्थन करने का संकेत
कांग्रेस महासचिव और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश के शनिवार को दिए गए एक बयान के बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि कांग्रेस दिल्ली के अध्यादेश के मामले को लेकर AAP का समर्थन कर सकती है। जयराम ने AAP का समर्थन करने का संकेत देते हुए कहा था, "कांग्रेस ने हमेशा राज्यों में निर्वाचित सरकारों के संघीय ढांचे पर किसी भी हमले का विरोध किया है और वह संसद के अंदर और बाहर ऐसा करना जारी रखेगी।"
विपक्ष की बैठक को लेकर चर्चा करेगी AAP
AAP 17-18 जुलाई को बेंगलुरू में विपक्ष की बैठक में भाग लेने पर विचार करने के लिए आज बैठक करेगी। बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत अन्य कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। गौरतलब है कि AAP ने पहले कहा था कि वह भविष्य में किसी भी विपक्षी सभा का हिस्सा नहीं बनेगी, जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से केंद्र के अध्यादेश का विरोध नहीं करती है।
AAP ने कांग्रेस पर उठाए थे सवाल
बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को हुई विपक्षी पार्टियों की बैठक के बाद AAP ने कांग्रेस पर सवाल खड़ा किया था। AAP ने कहा था कि बैठक के दौरान कई पार्टियों ने कांग्रेस को केंद्र के अध्यादेश की सार्वजनिक तौर पर निंदा करने को कहा, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया। पार्टी ने आगे कहा था कि कांग्रेस को तय करना चाहिए कि वह वह दिल्ली के लोगों के साथ है या मोदी सरकार के साथ है।
केजरीवाल को मिला है कई पार्टियों का समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अध्यादेश को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को घेरने के लिए विपक्ष को एकजुट करने की काफी कोशिश की थी। उन्होंने देशभर में कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं से मुलाकात की थी और अध्यादेश के खिलाफ उनका समर्थन मांगा था। केजरीवाल ने कहा था कि यदि विपक्ष राज्यसभा में अध्यादेश को पारित होने से रोकने में सफल रहा तो यह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़ा संदेश देगा।
क्या है अध्यादेश का मामला?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। इसके बाद मामले में केंद्र ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था। इसके जरिए दिल्ली सरकार को मिले अधिकार को पलटकर अंतिम फैसले का अधिकार उपराज्यपाल को दे दिए गए थे। AAP ने अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और मामले की सुनवाई लंबित है।