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चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अचानक क्यों किया तिब्बत का दौरा? 
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत का दौरा किया है

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अचानक क्यों किया तिब्बत का दौरा? 

लेखन आबिद खान
Aug 21, 2025
05:12 pm

क्या है खबर?

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए तिब्बत की यात्रा की है। वे 20 अगस्त को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ पर ल्हासा पहुंचे। वह इस समारोह में शामिल होने वाले दूसरे चीनी राष्ट्रपति हैं। इस दौरान वे अधिकारियों और स्थानीय नेताओं से मिले। यह घटनाक्रम दलाई लामा और चीन के बीच उनके संभावित उत्तराधिकारी को लेकर चल रहे तनाव के बीच सामने आया है। आइए इस यात्रा के मायने समझते हैं।

दौरा

कैसा था शी का तिब्बत दौरा?

राष्ट्रपति शी 20 अगस्त को ल्हासा पहुंचे। यहां स्थानीय लोगों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से उनका स्वागत किया। तिब्बतियों के आशीर्वाद के प्रतीक के तौर पर उन्होंने अन्न के दाने हवा में उछाले। उनके साथ चीन के शीर्ष राजनीतिक सलाहकार वांग हुनिंग, उनके चीफ ऑफ स्टाफ काई की, उप-प्रधानमंत्री हे लिफेंग और जन सुरक्षा मंत्री वांग शियाओहोंग भी थे। उन्होंने तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्मगुरु पंचेन लामा से भी मुलाकात की।

बयान

शी ने मंदारिन भाषा के प्रयोग समेत इन चीजों पर दिया जोर

शी ने कहा कि तिब्बत पर शासन करने और उसे विकसित करने के लिए सबसे पहले राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता, जातीय एकता और धार्मिक लोगों का समाज के साथ सामंजस्य सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने अपनी पार्टी के सदस्यों से मंदारिन भाषा के प्रयोग को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने कहा, "तिब्बत और चीन के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत आदान-प्रदान बढ़ना चाहिए। अधिकारियों को तिब्बती बौद्ध धर्म का 'मार्गदर्शन' करना चाहिए और उसे समाजवादी समाज के अनुरूप लाना चाहिए।"

विशेषज्ञ

क्या कह रहे हैं जानकार?

विशेषज्ञों का कहना है कि ये दौरा चीन की तिब्बत पर नियंत्रण की इच्छा को और पुष्ट करती है। लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में तिब्बत के विद्वान रॉबर्ट बार्नेट ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, "दलाई लामा का उत्तराधिकार एक प्रतीकात्मक युद्ध का मैदान और पार्टी के लिए तिब्बत पर दावा करने का प्रतीकात्मक अवसर है। यह कदम वर्षों के नियंत्रण के बावजूद पार्टी में धर्म और राष्ट्रीयता को लेकर बनी हुई अस्तित्वगत चिंता को दर्शाता है।"

दलाई लामा

यात्रा को लेकर दलाई लामा और तिब्बतियों का क्या रुख है?

उत्तर भारत में दलाई लामा कार्यालय के अधिकारी त्सेतेन सामदुप छोक्यापा ने कहा, "चीनी खुद को पीछे की ओर पा रहे हैं। इस यात्रा को दलाई लामा के उत्तराधिकार के बयान के चश्मे से देखा जाना चाहिए। बीजिंग एक बार फिर तिब्बत पर अपने कब्जे को वैध बनाने की कोशिश कर रहा है।" वहीं, तिब्बती स्वायत्ता की वकालत करने वाले समूहों ने यात्रा को मानवाधिकार रिकॉर्ड को छिपाने का प्रयास बताया।

भारत

यात्रा के भारत के लिए क्या हैं मायने?

शी की ये यात्रा ऐसे वक्त हुई है, जब भारत-चीन में ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध को लेकर असहमतियां हैं। तिब्बत की सीमा को लेकर भी दोनों देशों में विवाद है। हाल ही में दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर चीन की भूमिका से इनकार किया था। दलाई लामा को शरण देने के चलते भारत-चीन में असहजता है। शी की तिब्बत यात्रा चीनी विदेश मंत्री वांग यी की भारत यात्रा की पृष्ठभूमि में भी हो रही है।