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    #NewsBytesExplainer: क्या है कर्नाटक का गोहत्या विरोधी कानून, जिस पर गरमाई हुई है राज्य की सियासत?
    कर्नाटक में गोहत्या विरोधी कानून को लेकर छिड़ा विवाद

    #NewsBytesExplainer: क्या है कर्नाटक का गोहत्या विरोधी कानून, जिस पर गरमाई हुई है राज्य की सियासत?

    लेखन सकुल गर्ग
    Jun 06, 2023
    08:38 pm

    क्या है खबर?

    कर्नाटक में पिछले भाजपा सरकार द्वारा लाए गए गोहत्या विरोधी कानून पर सियासत गरमाई हुई है।

    मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि इस कानून में स्पष्टता की कमी है और वह कैबिनेट बैठक में इस मामले को लेकर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।

    आइए समझते हैं कि यह कानून क्या है और इस पर अभी विवाद क्यों हो रहा है।

    विवाद 

    कानून पर अभी क्यों छिड़ा विवाद? 

    मौजूदा विवाद कर्नाटक सरकार के पशुपालन मंत्री के वेंकटेश द्वारा 2 दिन पहले दिए गए एक बयान के कारण शुरू हुआ है। वेंकटेश ने कहा था कि अगर भैंसों को काटा जा सकता है तो गायों को क्यों नहीं।

    उन्होंने कहा था, "भाजपा एक कानून लाई थी, जिसमें भैंसों को मारने की अनुमति दी गई थी, लेकिन गोहत्या पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हमारी सरकार इस कानून पर चर्चा करेगी और फैसला लेगी।"

    कानून 

    कब आया था गोहत्या विरोधी कानून?

    तत्कालीन मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने 9 दिसंबर, 2020 को कर्नाटक विधानसभा में कर्नाटक मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण विधेयक, 2020 पारित किया था।

    विपक्षी पार्टियों, कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS), ने इस विधेयक का कड़ा विरोध किया था।

    कर्नाटक के तत्कालीन राज्यपाल वजुभाई वाला ने 9 जनवरी, 2021 को इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद यह कानून बन गया था।

    कारण 

    कानून में क्या प्रावधान हैं?

    भाजपा सरकार ने कर्नाटक में सभी प्रकार के मवेशियों के वध पर प्रतिबंध लगाने और इसका उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा की व्यवस्था करने के लिए यह कानून बनाया था।

    कानून के तहत, गाय, भैंस, बैल और बछड़े को मवेशी के रूप में नामित किया गया था और इन सभी के वध पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था। केवल 13 वर्ष की आयु से अधिक के बीमार भैंसों के वध की छूट दी गई थी।

    सजा 

    कानून के तहत सजा का क्या प्रावधान है? 

    कानून में गोहत्या को संज्ञेय अपराध माना गया है। इसमें कर्नाटक में मवेशियों का वध करने का दोषी पाए जाने पर 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है।

    पहली बार अपराध करने पर दोषी पर 50,000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है, वहीं दोबारा अपराध करने पर एक लाख रुपये से 10 लाख रुपये के बीच जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान है।

    विशेषता

    कानून में और क्या-क्या प्रावधान हैं? 

    मवेशी वध रोकथाम और संरक्षण अधिनियम के तहत सब-इंस्पेक्टर और इससे ऊपर के रैंक के पुलिस अधिकारियों को मवेशी के वध का संदेह होने पर किसी भी परिसर की तलाशी लेने का अधिकार है।

    इसके साथ ही उन्हें अपराध करने के लिए इस्तेमाल किए गए मवेशियों, उनके मांस और अन्य उपकरणों को जब्त करने का भी अधिकार मिला हुआ है।

    इस तरह की बरामदगी होने पर मामले की रिपोर्ट बिना देरी के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के सामने पेश की जाती है।

    राय 

    भाजपा और कांग्रेस का क्या कहना है?

    कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष बसवराज बोम्मई ने वेंकटेश के बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि भारतीयों का गाय के साथ भावनात्मक जुड़ाव है और गाय को माता के रूप में पूजा जाता है।

    कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वेंकटेश ने कहा कि किसानों को बूढ़े मवेशियों की देखभाल करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और किसानों के हित में गोहत्या विरोधी कानून में बदलाव जरूरी है।

    चुनाव 

    न्यूजबाइट्स प्लस 

    कर्नाटक चुनाव के नतीजे 13 मई को घोषित हुए थे, जिसमें कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह राज्य में पिछले 34 वर्षों में किसी भी पार्टी द्वारा दर्ज की गई सबसे बड़ी जीत थी।

    भाजपा ने 66 सीटें जीती थीं, जबकि JDS 19 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी। अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों के खाते में 4 सीटें गईं।

    कर्नाटक की 224 विधानसभा सीटों पर 10 मई को मतदान हुआ था।

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