कर्नाटक: येदियुरप्पा ने ली शपथ, चौथी बार बने मुख्यमंत्री
क्या है खबर?
सभी कयासों को विराम देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने आज कर्नाटक में सरकार बनाने का दावा पेश कर किया था।
इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा सरकार बनाने के लिए विधानसभा स्पीकर के 16 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसले तक इंतजार करेगी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा राज्यपाल वजूभाई वाला से मिले थे और सरकार बनाने का दावा किया था।
अब येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है।
शपथ
राज्यपाल वजुभाई वाला ने दिलाई मुख्यमंत्री पद की शपथ
कांग्रेस-JD (S) सरकार के समय नेता विपक्ष रहे येदियुरप्पा को राज्यपाल वजुभाई वाला ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ उनके मंत्रिमंडल के किसी और सदस्य ने शपथ नहीं ली है।
येदियुरप्पा के मंत्रिमंडल में कौन-कौन शामिल होगा, यह अभी साफ नहीं हो पाया है।
येदियुरप्पा ने कहा है कि मंत्रिमंडल में किसे शामिल किया जायेगा, इस बारे में वह राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा करेंगे।
मुख्यमंत्री
चौथी बार मुख्यमंत्री बने येदियुरप्पा
आज शाम शपथ लेने के साथ ही येदियुरप्पा ने चौथी बार राज्य की कमान संभाली।
इससे पहले वह 2007, 2008 और 2018 में भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं, लेकिन एक भी बार उनकी सरकार पूरे 5 साल नहीं चली।
2018 में तो उनकी सरकार मात्र 3 दिन चली थी और वह विधानसभा में बहुमत साबित करने में नाकामयाब रहे थे।
इसी के बाद कांग्रेस और JD(S) ने गठबंधन करके सरकार बनाई थी और कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे।
कार्रवाई
स्पीकर ने की 2 बागी और एक निर्दलीय विधायक की सदस्यता रद्द
कर्नाटक में भाजपा की सरकार का भविष्य बहुत हद तक स्पीकर केआर रमेश कुमार के बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसले पर निर्भर करेगा।
कल उन्होंने 2 बागी विधायकों और एक निर्दलीय विधायक की सदस्यता रद्द कर दी थी।
निर्दलीय विधायक आर शंकर की सदस्यता रद्द करने का कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर लिया था, इसलिए वह कांग्रेस प्रभावी तौर पर कांग्रेस के ही विधायक थे।
बयान
स्पीकर ने कहा, स्वैच्छिक नहीं थे इस्तीफे
स्पीकर कुमार ने इन तीनों विधायकों के राज्य विधानसभा भंग होने तक चुनाव लड़ने पर भी पाबंदी लगा दी है।
NDTV से बातचीत में उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में बाकी बागी विधायकों पर व्यक्तिगत तौर पर फैसला लेंगे। उन्होंने कहा सबको पता है कि 100 प्रतिशत ये इस्तीफे स्वैच्छिक और वास्तविक नहीं है।
इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने के बाद विधानसभा का संख्याबल घटकर 221 रह गया है और बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत है।
चुनौती
लटकी रहेगी भाजपा सरकार पर तलवार
भाजपा के पास 105 विधायक ही हैं। ऐसे में उसका भविष्य अन्य इस्तीफों पर स्पीकर के फैसले पर निर्भर करेगा।
अगर स्पीकर बाकी बचे सभी बागी विधायकों की सदस्यता रद्द कर देते हैं तो विधानसभा का संख्याबल घटकर 207 रह जाएगा और भाजपा अपने 105 विधायकों के साथ सरकार बनाने में कामयाब रहेगी।
लेकिन इन सीटों से भाजपा के विधायक चुनकर आने तक उसकी सरकार पर तलवार ही लटकी रहेगी।
जानकारी
शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद फैसला
इन्हीं कारणों से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य में सरकार बनानी है या नहीं, इस पर फैसला लेने में थोड़ा समय लिया। कर्नाटक भाजपा के नेताओं ने अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ गुरुवार को बैठक की, जिसके बाद ये फैसला लिया गया।