जीत के बाद आडवाणी और मनोहर जोशी से मिले प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। उनके साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मुलाकात के बाद कहा कि आडवाणी जी जैसे नेताओं की वजह से भाजपा को यह सफलता मिली है। जोशी को विद्वान बताते हुए मोदी ने कहा कि भाजपा को मजबूत करने के लिए काम किया है और कई कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा बने रहे।
आडवाणी की सीट पर अमित शाह ने लड़ा था चुनाव
लालकृष्ण आडवाणी 2014 के चुनावों में गांधीनगर सीट से चुनाव लड़कर सांसद बने थे। 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया और इस सीट पर खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव लड़ा। अमित शाह पांच लाख से अधिक वोटों से यह चुनाव जीते हैं। आडवाणी ने नतीजों के बाद एक बयान जारी कर प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि शाह ने इन चुनावों में बहुत मेहनत की है।
मुलाकात का वीडियो
भाजपा ने रचा इतिहास
लोकसभा चुनाव के परिणामों में भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास रचते हुए 303 सीटों पर कब्जा किया है। उसके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को 351 सीटें हासिल हुई हैं। वहीं, कांग्रेस महज 52 सीटों पर सिमट कर रह गई और खुद पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपने गढ़ अमेठी में हार गए। इसी के साथ नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं।
पिछले चुनावों के मुकाबले भाजपा का वोट शेयर बढ़ा
अब तक सामने आए चुनावी आंकड़ों के मुताबिक, इस बार भाजपा का वोट शेयर 2014 चुनाव के मुकाबले 6.5 प्रतिशत बढ़ गया। 2014 में 31 प्रतिशत के मुकाबले उसे इस बार 37.5 प्रतिशत वोट हासिल हुए। चुनाव में कुल 60.37 करोड़ लोगों ने वोट डाला, जिसमें से 22.6 करोड़ वोट भाजपा को गए। भाजपा के अपने 2014 में मिले वोटों के मुकाबले 32 प्रतिशत यानि 5.5 करोड़ अधिक रहे। 2014 में उसने कुल 17.1 करोड़ वोट हासिल किए थे।
17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आधे से अधिक वोट
भाजपा को 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल हुए, जिनमें उत्तर प्रदेश जैसा महत्वपूर्ण राज्य भी शामिल है। वहीं, 9 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उसने क्लीन स्वीप किया। इनमें अरुणाचल प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़ और दमन और दीव शामिल हैं। आंध्र प्रदेश एक मात्र ऐसा राज्य रहा, जहां 2014 के मुकाबले वोट प्रतिशत कम हुआ। राज्य में उसे पिछले चुनावों से 7.5 प्रतिशत कम वोट हासिल हुए।