दिल्ली: तीन सांसदों का टिकट काट सकती है भाजपा, नई दिल्ली से लड़ सकते हैं गंभीर
लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है और चुनाव आयोग किसी भी दिन चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। सभी पार्टियों ने चुनाव के लिए कमर कस ली है और उम्मीदवार तय करने में जुटी हुई हैं। इस बीच आ रही खबर के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी दिल्ली से अपने तीन मौजूदा सांसदों के टिकट काट सकता है और उनकी जगह पूर्व क्रिकेटर गौतर गंभीर समेत अन्य उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जा सकता है।
नई दिल्ली से गौतम गंभीर के नाम पर विचार
'आज तक' की खबर के अनुसार, भाजपा नई दिल्ली से गौतम गंभीर को चुनाव में उतारने की सोच रही है। यहां से अभी भाजपा की मीनाक्षी लेखी सांसद हैं। गंभीर के भाजपा में शामिल होने और लोकसभा चुनाव लड़ने की खबरें काफी पहले से आ रही हैं। गंभीर सेना और सैनिकों के मुद्दों को लेकर बेहद आक्रामक रहते हैं और आम आदमी पार्टी की अक्सर आलोचना करते हैं। दोनों ही चीजें भाजपा के एजेंडे से मेल खाती हैं।
इस बार पूर्वी दिल्ली से लड़ सकते हैं हर्षवर्धन
गंभीर के अलावा भाजपा पूर्वी दिल्ली सीट से केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन को मैदान में उतार सकती है। दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेताओं में शामिल हर्षवर्धन अभी चांदनी चौक सीट से सांसद हैं और उन्होंने 2014 में AAP के आशुतोष और कांग्रेस के कपिल सिब्बल को हराया था। भाजपा इस बार उनकी लोकप्रियता को पूर्वी दिल्ली में भुनाना चाहती है। इस सीट से अभी भाजपा के महेश गिरी सांसद हैं। इसके अलावा एक और सीट पर बदलाव संभव है।
'नमो एप' के जरिए सांसदों के काम पर फीडबैक ले रही भाजपा
भाजपा ये बदलाव 'नमो एप' के जरिए सांसदों के काम पर प्राप्त फीडबैक के आधार पर कर रही है। पार्टी कोई खतरा नहीं लेना चाहती और जिस भी सांसद के बारे में नकारात्मक प्रतिक्रिया आ रही है, उसे बदलने पर विचार कर रही है। इसी फीडबैक के आधार पर पार्टी दिल्ली के 3 सांसदों का टिकट काट सकती है। बता दें कि भाजपा ने 2014 में दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर कब्जा किया था।
AAP घोषित कर चुकी है अपने उम्मीदवार
हाल ही में AAP ने भी दिल्ली की 6 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। पार्टी ने नई दिल्ली से बृजेश गोयल को मैदान में उतारा है और उनका मुकाबला गंभीर से हो सकता है। पूर्वी दिल्ली से AAP ने आतिशी को उतारा है और वह हर्षवर्धन से दो-दो हाथ कर सकती हैं। AAP ने चुनावों के लिए कांग्रेस से गठबंधन की भरपूर कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से मना कर दिया था।