प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा गरीबों को पत्र तो विरोधियों को हुई दिक्कत, जानें पूरा मामला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना 'आयुष्मान भारत' के 100 दिन पूरे होने पर सैकड़ों गरीबों को उनके द्वारा हस्ताक्षरित पत्र मिले हैं। लेकिन गरीबों से संवाद का प्रधानमंत्री मोदी का यह तरीका विपक्ष के गले नहीं उतर रहा है। विपक्ष का कहना है कि मोदी चुनाव से पहले इसके जरिए लोगों को लुभाना चाहते हैं, वहीं सरकार का कहना है कि यह वंचित लोगों को योजना के बारे में बताने के लिए किया गया है।
पत्रों पर छपाई में खर्च हुए 15 करोड़ से ऊपर
सरकार और विपक्ष में टकराव का एक विषय पत्रों पर किया गया खर्च है। NDTV के अनुसार, ऐसे 7.5 करोड़ पत्रों की छपाई में Rs. 15.75 करोड़ खर्च हुए हैं। CPM के सांसद एमबी राजेश ने पूछा कि इसके लिए पैसा कहां से आया। उन्होंने सवाल किया कि अगर इसके पीछे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के बारे में जागरूक करने का उद्देश्य है तो पत्रों में दूसरी योजनाओं के बारे में क्यों लिखा हुआ है?
क्या लिखा है पत्र में?
पत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीबी के साथ अपनी लड़ाई और संघर्ष के दिनों के बारे में बताते हुए कहा है कि इससे उन्हें गरीबों के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली। प्रधानमंत्री ने पत्र में आयुष्मान योजना के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना आदि का जिक्र भी किया है। केंद्र सरकार का कहना है कि उसका उद्देश्य गरीबों को योजनाओं के बारे में बताना था।
आयुष्मान भारत के सीईओ ने भी खारिज किए आरोप
आयुष्मान भारत के सीईओ इंदु भूषण ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि छपाई पर आया खर्च प्रशासनिक खर्च के तौर पर दर्ज हुआ है और इसका योजना के बजट पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्होंने कहा कि इन पत्रों के जरिए ही गरीबों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के बारे में पता चला और वह योजनाओं का फायदा उठा सके। उन्होंने कहा कि कई लोग ऐसे हैं जो हमारे पास पत्र मिलने के बाद इलाज के लिए आए।
पश्चिम बंगाल सरकार ने योजना से हाथ खींचे
सरकार की सफाई से विपक्ष सहमत नहीं हुआ। पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार ने केवल पत्रों की वजह से इस महत्वपूर्ण योजना में अपनी साझेदारी खत्म कर दी। राज्य सरकार ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को बताया कि समझौते का उल्लंघन करते हुए पत्र में योजना का नाम प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना लिखा हुआ है और इससे लोगों में भ्रम पैदा हुआ है। बता दें कि ममता सरकार केंद्र सरकार से टकराव का एक भी मौका नहीं छोड़ती।
भाजपा सांसद का जबाव
भाजपा सांसद वी मुरलीधरन ने विपक्ष को जबाव देते हुए कहा कि अगर किसी को लगता है कि यह राजनीतिक लाभ के लिए किया गया है तो उन्होंने अवश्य ही खुद के राज में ऐसा काम किया होगा। उन्होंने कहा कि जनता के टैक्स का पैसा इसलिए इस्तेमाल हुआ है ताकि ज्यादा लोग योजना का फायदा उठा सकें। सरकार कुछ भी कह रही हो, लेकिन चुनाव को देखते हुए पत्रों के राजनीतिक महत्व से भी इनकार नहीं किया जा सकता।