#NewsBytesExplainer: योगी सरकार के निशाने पर आया गैंगस्टर से नेता बना अतीक अहमद कौन है?
प्रयागराज के चर्चित उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई जारी है। इस हत्याकांड में शामिल दो बदमाशों को पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया है। उमेश पाल 2005 में बसपा विधायक राजूपाल की हत्या मामले में मुख्य गवाह था। 24 फरवरी को उमेश को दिनदहाड़े गोली मार दी गई थी और इस हत्याकांड को अतीक अहमद की गैंग ने अंजाम दिया था। आइये गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद के बारे में विस्तार से जानते हैं।
कहां है अतीक अहमद?
गैंगस्टर और पूर्व सांसद 60 वर्षीय अतीक अहमद एक मामले में 2019 से अहमदाबाद की सेंट्रल जेल में बंद हैं। उत्तर प्रदेश में अतीक पर करीब 100 से ज्यादा मामले दर्ज हैं और उस पर 144 लोगों की गैंग चलाने का आरोप है। अतीक के वकील ने कहा कि अभी 50 से ज्यादा मामलों की सुनवाई लंबित है और उमेश हत्याकांड में पुलिस ने अतीक, उसके बेटे असद और पत्नी शाइस्ता परवीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
1989 में अतीक ने निर्दलीय जीता था पहला चुनाव
अतीक पर साल 1984 में प्रयागराज में हत्या के प्रयास में पहला मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके 5 साल बाद उसने 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में इलाहाबाद पश्चिम से विधायक का पहला चुनाव जीता। इसके बाद लगातार दो विधानसभा चुनावों में निर्दलीय ही इस सीट पर जीत हासिल करने के बाद समाजवादी पार्टी ने अतीक के लिए अपने दरवाजे खोल दिए थे और इसी के साथ उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त हो गया था।
1995 के गेस्ट हाउस कांड के मुख्य आरोपियों में था अतीक
साल 1995 में लखनऊ में हुए गेस्ट हाउस कांड में अतीक नाम सामने आया था, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती अपने विधायकों के साथ ठहरी हुई थीं। इस दौरान कथित तौर पर सपा विधायकों और कार्यकर्ताओं ने गेस्ट हाउस का घेराव किया और हंगामा किया था। ऐसे में मायावती को खुद को एक कमरे में बंद करना पड़ा, जबकि उनके कई विधायकों को बंदी बना लिया गया था। अतीक इस घटना के बाद मायावती सरकार ने निशाने पर आ गया था।
2004 में अतीक ने फूलपुर लोकसभा सीट से जीता चुनाव
साल 1996 में समाजवादी पार्टी उम्मीदवार के रूप में अतीक चौथी बार इलाहाबाद पश्चिम से जीता। इसके तीन साल बाद वह अपना दल में शामिल हुआ और साल 2002 में फिर से इस सीट से जीत हासिल की। 2004 में अतीक की समाजवादी पार्टी में वापसी हुई और इस बार उसने फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। इस जीत के बाद उसकी पारंपरिक विधानसभा सीट इलाहाबाद पश्चिम खाली हो गई थी।
साल 2005 उपचुनाव में राजूपाल हत्याकांड को दिया अंजाम
समाजवादी पार्टी ने इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट के उपचुनाव में 2005 में अतीक के भाई अशरफ अहमद को चुनाव लड़वाया, जिनके खिलाफ बसपा के उम्मीदवार राजूपाल मैदान में थे और उन्होंने इस सीट पर जीत हासिल की। 25 जनवरी, 2005 को बसपा विधायक राजूपाल और समेत दो लोगों की हत्या करवा दी गई। इस मामले में अतीक और उसका भाई मुख्य आरोपी था, जबकि उमेश पाल इस हत्या के मुख्य गवाह थे, जिनकी हाल में हत्या हुई है।
लखनऊ के व्यवसायी के अपहरण में भी अतीक का हाथ
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने साल 2018 में लखनऊ के व्यवसायी मोहित जायसवाल के कथित अपहरण मामले में अतीक के खिलाफ कर्ज दर्ज किया था। जायसवाल से अतीक ने बदमाशों ने जबरन 48 करोड़ रुपये की संपत्ति के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। अतीक का सबसे बड़ा बेटा मोहम्मद उमर भी इस मामले में सह-आरोपी है, जबकि उसके दूसरे बेटे मोहम्मद अली पर 2021 में गंभीर आरोप लगे थे। उसके ये दोनों बेटे भी अलग-अलग जेलों में बंद हैं।
अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन भी उमेश पाल हत्याकांड में नामजद
उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस ने अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया है। इससे पहले शाइस्ता के खिलाफ 2019 में प्रयागराज के कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में जालसाजी और शस्त्र अधिनियम के तहत तीन मामले दर्ज हुए थे। इसी साल जनवरी में शाइस्ता बसपा में शामिल हुई हैं। शाइस्ता ने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार उनके पति, देवर के साथ पूरे परिवार और मिलने जुलने वालों को फर्जी केसों में फंसाकर उत्पीड़न कर रही है।
अतीक के खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार ने क्या की कार्रवाई?
उत्तर प्रदेश सरकार ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की शपथ ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि अतीक से जुड़ी करीब 350 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त किया गया है। प्रयागराज जिला प्रशासन का कहना है कि उसने अतीक और उसके सहयोगियों द्वारा 751 करोड़ रुपये जबरन कब्जा की गई संपत्ति को भी मुक्त करवाया है। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एक टीम अतीक से जुड़ी संपत्तियों की जांच कर रही है।