कोरोना वायरस का वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद जल्द बनाए जाएंगे CAA के नियम- अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण नए नागरिकता कानून (CAA) के नियम बनाने में देरी हुई है और इस संकट के खत्म होते ही इससे संबंधित नियम बनाए जाएंगे। ये बात उन्होंने पश्चिम बंगाल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कही। राज्य में CAA बेहद विवादित है और खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के खिलाफ सड़कों पर उतर चुकी हैं।
क्या बोले अमित शाह?
बंगाल के बोलपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, "अभी CAA के नियम बनना बाकी हैं क्योंकि कोरोना वायरस के कारण इतनी बड़ी प्रक्रिया को शुरू नहीं किया जा सका। जैसी ही वैक्सीनेशन शुरू होगा और कोरोना वायरस के संक्रमण की साइकिल टूटेगी, हम इस पर विचार करेंगे।" इससे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी कोरोना वायरस महामारी खत्म होते ही CAA लागू करने की बात कह चुके हैं।
नियम बनाने के लिए दो बार अतिरिक्त समय मांग चुका है गृह मंत्रालय
संसदीय नियमों के अनुसार, अगर कोई कानून बनने के छह महीनों के अंदर इस पर नियम नहीं बनते तो सरकार को संसदीय समिति को इसका कारण बताते हुए अतिरिक्त समय की मांग करनी पड़ती है और एक बार में अधिकतम तीन महीने का अतिरिक्त समय ही दिया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गृह मंत्रालय अब तक दो बार अतिरिक्त समय मांग चुका है और अभी उसके पास नियम बनाने के लिए जनवरी तक का समय है।
क्या है CAA?
नागरिकता कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना करने के बाद हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के जो लोग 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए थे, उन्हें भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद आने वाले इन धर्मों के लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद नागरिकता दे दी जाएगी। पहले सबकी तरह उन्हें 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था।
कानून के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे करोड़ों लोग
भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्ष और धर्म के आधार पर भेदभाव न करने की अवधारणा के खिलाफ पहली बार नागरिकता को धर्म से जोड़ने और मुस्लिम समुदाय को इससे बाहर रखने के कारण CAA का जमकर विरोध हुआ था। देशभर में करोड़ों लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे और सरकार को कई बार इस पर सफाई देनी पड़ी थी। उन्होंने आशंका जताई थी कि CAA और NRC के गठजोड़ के जरिए मुसलमानों को निशाना बनाया जा सकता है।
बंगाल में CAA-NRC का राजनीतिक महत्व
पश्चिम बंगाल में भी CAA-NRC का जबरदस्त विरोध हुआ था और खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके खिलाफ सड़कों पर उतरी थीं। राज्य में इस कानून का राजनीतिक महत्व भी है और इसके बहाने भाजपा हिंदू वोटों को साधना चाहती है। यही कारण है कि भाजपा और अमित शाह बंगाल में इस कानून का खासतौर पर जिक्र करना नहीं भूलते और अभी जल्द नियम बनाने की बात भी उन्होंने बंगाल में ही कही है।