कोरोना वायरस: देश में पहली बार 2 प्रतिशत से कम हुई मृत्यु दर
भारत में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण होने वाली मौतों की संख्या में इजाफा हो रहा है। बीते दिन भारत में 871 मौतें हुईं, जो दुनियाभर में सबसे ज्यादा थी। दूसरी तरफ अगर भारत में मौतों की संख्या को कुल संक्रमितों के अनुपात में देखें तो यह पहली बार 2 प्रतिशत से कम हुई है। पिछले कुछ दिनों से इसमें धीरे-धीरे गिरावट देखी जा रही थी। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
वैश्विक औसत से काफी नीचे भारत
सोमवार को देश में मिले 53,601 नए मरीजों के साथ कोरोना वायरस के मामले 22.68 लाख पर पहुंच गए। इनमें से 45,257 लोगों की मौत हुई है। कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों के मामले में भारत अमेरिका, ब्राजील, मैक्सिको और इंग्लैंड के बाद पांचवें स्थान पर है, लेकिन मृत्य दर या केस फैटेलिटी रेशो (CFR) के मामलों में यह वैश्विक औसत 3.7 प्रतिशत से काफी पीछे हैं। दुनियाभर में सात लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं।
असल संख्या से कम है मृत्यु दर
CFR से इस बात को मापा जा सकता है कि कोई बीमारी कितनी खतरनाक है। इसका सटीक अनुमान तब लगाया जा सकता है जब संक्रमित लोगों की सही संख्या ज्ञात हो, लेकिन कोरोना वायरस जैसी महामारी में ऐसा कर पाना मुश्किल है। अभी जितने मामले सामने आए हैं, उनमें संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। वहीं कई ऐसे हैं, जिनमें संक्रमण के बावजूद लक्षण नहीं दिख रहे हैं और न ही इनका टेस्ट हुआ है।
1 प्रतिशत से कम होगी मृत्यु दर
इन सब बातों को देखते हुए यह साफ समझा जा सकता है कि अभी दुनियाभर में संक्रमितों की जो आधिकारिक संख्या है, असल में उससे कहीं अधिक लोग इस खतरनाक वायरस की चपेट में आ चुके हैं। इसलिए वैश्विक मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत और भारत में 2 प्रतिशत से भी कम है। माना जा रहा है कि जब दुनिया कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई जीत लेगी तब मृत्यु दर 1 प्रतिशत से भी कम होगी।
वैश्विक औसत से ऊपर नहीं गई भारत की मृत्यु दर
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत में मई में मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत से थी। यानी 1,000 संक्रमित लोगों में से 32 लोगोंं की जान जा रही थी। जून मध्य तक यह लगातार कम होती जा रही थी। इसी दौरान महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल ने पहले हुई मौतों को आधिकारिक आंकड़ों में शामिल कर दिया। इससे भारत में मृत्यु दर एक बार फिर बढ़ गई। हालांकि, इस दौरान यह कभी भी वैश्विक औसत से ऊपर नहीं गई।
मृत्यु दर के उलट बढ़ रही पॉजीटिविटी रेट
इसके उलट भारत में पॉजीटिविटी रेट लगातार बढ़ती जा रही है। पॉजीटिविटी रेट का मतलब है कि जांच किए गए लोगों में से कितने लोग संक्रमित पाए जा रहे हैं। इससे यह पता लगाया जाता है कि किसी समुदाय में कोई बीमारी कितने बड़े स्तर पर फैली हुई है। अगर कोई बीमारी बड़े स्तर पर फैली होती है तो वहां ज्यादा लोग बीमारी की चपेट में आते हैं, जिससे पॉजीटिविटी रेट बढ़ेगी।
मई से लगातार बढ़ रही पॉजीटिविटी रेट
मई के बाद से ही देश में पॉजीटिविटी रेट में लगातार इजाफा हो रहा है। मई की शुरुआत में यह 4.14 प्रतिशत थी जो अब 9 प्रतिशत से ज्यादा पहुंच गई है। यानी 100 सैंपल में से 9 से ज्यादा की रिपोर्ट पॉजीटिव आ रही है। इसके पीछे दो कारण है। पहला यह कि महामारी अब पहले की तुलना में ज्यादा फैल चुकी है और दूसरा यह है कि पहले की तुलना में कई गुना टेस्ट हो रहे हैं।
देश में तेजी से फैल रहा संक्रमण
बीते कुछ समय से भारत में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। बीते दिन मिले 53,601 नए मरीजों के साथ देश में कोरोना वायरस के कुल मामले 22,68,675 हो गए हैं और 45,257 लोगों की इस खतरनाक वायरस के कारण मौत हुई है। भारत में 6,39,929 सक्रिय मरीज हैं और ठीक होने वाले मरीजों की कुल संख्या 15,83,489 हो गई है, जो कुल मामलों के 69.80 प्रतिशत हैं।