बच्चों के लिए हलवा लेकर घर लौट रहा था बुरी तरह पीटा गया शख्स
क्या है खबर?
नागरिकता कानून को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान कई विचलित करने वाली तस्वीरें सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक तस्वीर मोहम्मद जुबैर की थी।
बेबस जमीन पर पड़े जुबैर पर दंगाई बेरहमी से लाठी और डंडे बरसा रहे थे। जुबैर के सफेद कपड़े खून से लाल हो चुके थे।
वो रहम की गुहार लगाते रहे, लेकिन दंगाई कुछ नहीं सुन रहे थे। अपने बच्चों के लिए हलवा और परांठे लेने निकले जुबैर बेहोश होकर अस्पताल पहुंचे।
जानकारी
बेहोशी की हालात में अस्पताल पहुंचाए गए थे जुबैर
जुबैर को अपने साथ हुई बर्बरतापूर्ण पिटाई के बारे में ज्यादा याद नहीं है। उन्हे बस यह पता है कि उनके साथ बुरी तरह पिटाई की गई और जब वो होश में आए तो गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती थे।
आपबीती
मैं अपनी वो फोटो नहीं देख सकता- जुबैर
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जुबैर ने बताया, "जब तक मैं टूट नहीं गया वो मेरी पिटाई करते रहे। मैंने उनसे छोड़ने की बात कही तो उन्होंने मुझे और पीटा। उन्होंने कपिल मिश्रा का नाम लेते हुए मेरी धार्मिक पहचान को निशाना बनाकर गालियां दीं। मुझे ज्यादा कुछ याद नहीं है। मैं चाहता हूं कि मेरे बच्चे सही-सलामत हो। मैं अपनी वो फोटो नहीं देख सकता। मेरी टांगे दर्द से कांप रही हैं।"
घटना
डंडों और लोहे की रॉड से की गई जुबैर की पिटाई
जुबैर सोमवार को नमाज पढ़ने के लिए अपने घर से निकले थे। रास्ते में कुछ प्रदर्शनकारियों ने उन्हें रोक लिया और मारपीट शुरू कर दी। दंगाइयों ने उन्हें डंडों और लोहे की रॉड से मारा।
जुबैर को इस हमले में सिर, बाजू, कंधे और टांगों पर चोट आई है। गुरु तेग बहादुर अस्पताल से इलाज के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी।
फिलहाल जुबैर इंद्रपुरी में अपने भाइयों के पास रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
जानकारी
तीन बच्चों के पिता हैं जुबैर
जुबैर के दो बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी की उम्र पांच और दूसरी की दो साल है। वहीं बेटे की उम्र चार साल है। उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित जुबैर ने उन्हें उत्तर प्रदेश स्थित अपने गांव भेज दिया है।
आपबीती
परिवार चलाने के लिए मजदूरी करते हैं जुबैर
नौवीं कक्षा तक पढ़े जुबैर मजदूरी कर अपना घर चलाते हैं। उन्होंने बताया, "मैं कोई राजनीतिक आदमी नहीं हूं। मैं नमाज पढ़कर से घर लौट रहा था। मैं बच्चों के लिए हलवा लेकर आया था। मुझे लगा कि वो यह देखकर खुश होंगे। अब पता नहीं मैं उनसे कब मिल पाउंगा।"
जिस समय जुबैर पर हमला हुआ, चांदबाग में उनके घर पर रहने वाले उनके छोटे भाई ने अपने समेत पूरे परिवार को अंदर बंद कर लिया।
चिंता
जुबैर के परिवार को सता रही सुरक्षा की चिंता
जुबैर के भाई और उनके परिवार को अब अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही है और इसके चलते वो उनसे मिल भी नहीं पा रहे हैं।
कुछ लोग उनके भाई को दंगाइयों के खिलाफ शिकायत देने की बात कह रहे हैं। इस पर उनके भाई पूछते हैं, "किसके खिलाफ शिकायत दूं? हम छोटे लोग हैं। हमारा प्रदर्शन से कुछ लेना-देना नहीं था। अब हमें इसके अंदर खींच लिया गया है। अब यह जिंदा रहने की लड़ाई बन गई है।"