
दिल्ली: जाफराबाद और मौजपुर से हटे प्रदर्शनकारी, हाई कोर्ट जजों ने आधी रात में की सुनवाई
क्या है खबर?
नागरिकता कानून के विरोध में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर धरने पर बैठी महिलाएं मंगलवार शाम को वहां से हट गईं। उन्होंने शनिवार शाम से धरना शुरू किया था।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलचा ने बताया कि प्रदर्शनकारी महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से हट गई हैं और मौजपुर चौक भी खाली है। अब 66 फुटा रोड पर कोई प्रदर्शनकारी नहीं है।
गौरतलब है कि तीन दिनों से मौजूपर समेत उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई इलाकों में हिंसा भड़की हुई है।
प्रदर्शन
फिर से धरने पर बैठेंगी महिलाएं
मंगलवार को महिलाओं ने भले प्रदर्शन बंद कर दिया है, लेकिन वो स्थिति सामान्य होने पर फिर से प्रदर्शन करने की बात कह रही हैं। एक महिला ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि स्थिति सामान्य होने पर प्रदर्शन फिर शुरू होगा।
वहीं एक और प्रदर्शनकारी नौशाद ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि स्थिति तनावपूर्व होने पर पुलिस और स्थानीय लोगों ने रोड खाली कर दिया। हिंसा फैला रहे लोगों को जाने के लिए कहा गया है।
हिंसा
हिंसा में अब तक 18 लोगों की मौत
जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से महिलाओं के हटने के बाद अब मेन सीलमपुर रोड पर प्रदर्शन जारी है। यह जगह जाफराबाद से लगभग दो किलोमीटर दूर है।
रविवार से यह पूरा इलाका सांप्रदायिक हिंसा में जल रहा है। हिंसा में अब तक 18 लोगों को मौत हो चुकी है और लगभग 200 लोग घायल बताए जा रहे हैं।
जान गंवाने वालों में एक पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। वहीं पूरी हिंसा में 50 से अधिक पुलिसकर्मियों के घायल होने की जानकारी है।
हिंसाग्रस्त इलाके
हिंसा से बुरी तरह प्रभावित रहे ये इलाके
हिंसा से सबसे ज्यादा प्रभावित जाफराबाद से मौजपुर के बीच का इलाका हुआ। यहां से शुरू हुई हिंसा भजनपुरा, करदमपुरी, शास्त्री पार्क, करालव नगर, ब्रह्मपुरी और ज्योति नगर आदि जगहों पर फैल गई।
दंगाईयों ने कई जगहों पर आगजनी, गोलीबारी और पत्थरबाजी की। मंगलवार को दिल्ली पुलिस ने कहा कि हिंसा के सिलसिले में 11 FIR दर्ज की गई है और 20-25 लोगों को हिरासत में लिया गया है।
हिंसा प्रभावित इलाकों में धारा 144 लगाई गई है।
सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट के जजों ने रात को की सुनवाई
हिंसा से प्रभावित उत्तर-पूर्वी दिल्ली इलाकों में घायलों को अस्पताल पहुंचाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
उपद्रव फैला रहे लोग एंबुलेंस को अस्पतालों तक नहीं पहुंचने दे रहे। मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की दो जजों की बेंच ने मंगलवार देर रात इसे लेकर दिल्ली पुलिस को आदेश जारी किए।
कोर्ट ने कहा कि घायलों को इलाज के लिए ले जाने के दौरान दिल्ली पुलिस उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें।
मामला
एआई हिंद अस्पताल में फंसे थे घायल
दरअसल, वकील सुरूर मंदर ने फोन कर जस्टिस एस मुरलीधर और एजे भम्भानी को फोन कर जानकारी दी कि एआई हिंद अस्पताल में भर्ती घायलों को बेहतर इलाज के लिए गुरु तेग बहादुर अस्पताल ले जाने की जरूरत है।
यहां पर 22 घायल भर्ती हैं, जिन्हें तुरंत बेहतर इलाज की जरूरत है, लेकिन उन्हें पुलिस की तरफ से सुरक्षा नहीं मिल पा रही है।
इस पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को एंबुलेंस को एस्कॉर्ट करने के आदेश दिए।
समीक्षा
दिल्ली की हिंसा को लेकर तीन बैठक कर चुके अमित शाह
दिल्ली में जारी हिंसा और इसके बाद बनी स्थितियों की समीक्षा करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार रात एक और बैठक बुलाई। पिछले 24 घंटों में उनकी ऐसी तीसरी बैठक थी।
इससे पहले उन्होंने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल, उपराज्यपाल और पुलिस कमिश्नर के साथ बैठक की थी।
बैठक के बाद केजरीवाल और उपराज्यपाल ने लोगों से हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति बनाए रखने की अपील की थी।
अधिकार
हिंसा को रोकने के लिए दिल्ली सरकार क्या कर सकती है?
हिंसा को रोकने में असमर्थ रहने पर दिल्ली पुलिस के साथ-साथ दिल्ली सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं।
कई लोगों के मन में यह सवाल भी है कि दिल्ली सरकार ऐसी स्थिति में क्या कर सकती है, जब दिल्ली पुलिस उसके अधीन न होकर केंद्र सरकार के तहत काम करती है? इसका सीधा जवाब मुश्किल है।
दरअसल, दिल्ली का प्रशासन और विधायी कार्य दिल्ली सरकार के हाथ में है, जबकि कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी केंद्र के पास है।
अधिकार
दिल्ली सरकार के पास क्या पावर है?
CrPC की धारा 129 और 130 के तहत दिल्ली के मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करने वाले एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को 'गैरकानूनी तरीके से जमा हुई भीड़' को हटाने के अधिकार दिए गए हैं।
धारा 129 के तहत मजिस्ट्रेट भीड़ को हटने के लिए कह सकता है। इसके बाद अगर भीड़ हटती नहीं है तो वह पुलिस का इस्तेमाल कर सकता है।
फिर भी अगर भीड़ नहीं हटती है तो मजिस्ट्रेट धारा 130 के तहत सेना की मांग कर सकता है।