शाहीन बाग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने 23 मार्च तक टाली सुनवाई, कहा- अभी माहौल ठीक नहीं
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने संबंधी मामले की सुनवाई को 23 मार्च तक के लिए टाल दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अभी मामले में कोई आदेश देने के लिए माहौल ठीक नहीं है। उसने कहा कि अब समय आ गया है कि सभी पक्ष अपनी तरफ से तनाव कम करें।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में हिंसा को रोकने में नाकामी को लेकर दिल्ली पुलिस को जमकर फटकार लगाई।
पृष्ठभूमि
दिसंबर से धरने पर बैठी हैं शाहीन बाग की महिलाएं
पिछले साल दिसंबर में संसद से नागरिकता कानून (CAA) पारित होने के बाद शाहीन बाग की महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठ गईं थीं।
ये महिलाएं तभी से यहां धरने पर बैठी हुई हैं। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार CAA को वापस ले और ये घोषणा करे कि नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) नहीं लाया जाएगा।
हालांकि सड़क पर उनके धरने के कारण लोगों को आने-जाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए नियुक्त किए थे दो वार्ताकार
इस धरने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं जिनमें महिलाओं को सड़क से हटाने का आदेश देने की मांग की गई थी।
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिए दो वार्ताकार नियुक्त किए थे।
इन वार्ताकारों ने तीन बार शाहीन बाग जाकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत की और सोमवार को एक बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वार्ताकारों की रिपोर्ट में कई किंतु-परंतु
आज इस रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वार्ताकारों की रिपोर्ट में कई किंतु-परंतु हैं।
हालांकि पिछले तीन दिन से उत्तर-पूर्व दिल्ली में हो रही हिंसा को देखते हुए कोर्ट ने शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने पर कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि अभी कोई आदेश देने के लिए माहौल ठीक नहीं है।
न्यायाधीश केएम जोसेफ ने सभी पक्षों को तनाव करने का आदेश दिया।
टिप्पणी
"पुलिस में प्रोफेशनलिज्म और स्वतंत्रता की कमी"
सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान उत्तर-पूर्व दिल्ली में हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के रवैये पर भी टिप्पणी की।
न्यायाधीश जोसेफ ने कहा, "मुझे कुछ चीजें कहनी चाहिए क्योंकि संस्थान के प्रति मेरी निष्ठा है। पुलिस में प्रोफेशनलिज्म और स्वतंत्रता की कमी है। कानून के मुताबिक काम करने के लिए पुलिस किसी की अनुमति का इंतजार क्यों करती है? जब कोई भड़काऊ बयान दिया जाए, पुलिस को उसी समय कार्रवाई करनी चाहिए। दिल्ली ही नहीं हर राज्य की पुलिस को।"
याचिका
सुप्रीम कोर्ट का दिल्ली में हिंसा के मामले में दखल देने से इनकार
न्यायाधीश जोसेफ ने कहा, "पुलिस को कानून के मुताबिक कार्य करना चाहिए। पुलिस को ऐसे कार्रवाई करने की जरूरत है जैसे इंग्लैंड में करते हैं। चीजें उनके सामने हो रही थीं।"
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दखल देने से इनकार कर दिया और कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर रहा है और याचिकाकर्ता कानूनी उपाय के लिए उसके पास जा सकते हैं।
कोर्ट ने कहा कि वो मौजूदा मामले के दायरे को बढ़ाना नहीं चाहती।
बयान
सॉलिसिटर जनरल ने किया कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी न करने का अनुरोध
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी न करने की अपील की क्योंकि इससे पुलिस का मनोबल गिर सकता है। उन्होंने कहा कि किसी को उन जमीनी हकीकतों के बारे में नहीं पता जिन पर पुलिस काम करती है।