
कौन हैं टाइम मैगजीन के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में शामिल शाहीन बाग की बिल्किस दादी?
क्या है खबर?
टाइम मैगजीन ने शाहीन बाग के नागरिकता कानून (CAA) विरोधी प्रदर्शन का चेहरा बनीं बिल्किस बानो दादी को 2020 के दुनिया के 100 सबसे अधिक प्रभावशाली लोगों में शामिल किया है।
82 वर्षीय दादी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और गूगल के CEO सुंदर पिचाई जैसे नामों के साथ इस सूची में जगह मिली है।
आइए आपको बिल्किस के उस जज्बे की कहानी बताते हैं जिसे आज पूरी दुनिया सलाम कर रही है।
पृष्ठभूमि
दिसंबर में धरने पर बैठी थीं दादियां
पिछले साल दिसंबर में संसद से CAA पारित होने के बाद दिल्ली के शाहीन बाग की महिलाएं सड़क पर धरने पर बैठ गई थीं और सरकार से इस विवादित कानून को वापस लेने की मांग की थी।
इन्हीं महिलाओं में शामिल थीं तीन दादियां जो जल्द ही अपने जज्बे के कारण इन प्रदर्शनों का चेहरा बन गईं। बिल्किस समेत ये तीनों दादियां पिछली एक सदी में सबसे अधिक ठंड के बावजूद पीछे नहीं हटीं और धरना जारी रखा।
बयान
बोलने में भी किसी से पीछे नहीं रहीं दादी
बिल्किस दादी बोलने में भी किसी से पीछे नहीं थीं और प्रदर्शनों के दौरान 'इंडियन एक्सप्रेस' से बात करते हुए उन्होंने कहा था, "हम बूढ़े हैं और हम ये अपने लिए नहीं कर रहे। ये हमारे बच्चों के लिए है। इसके अलावा और किस कारण से हम अपने जीवन की सबसे ठंडी सर्दियां दिन-रात खुले में बिताएंगे।"
उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर रोहित वेमुला और जुनैद खान की मांओं के साथ मिलकर शाहीन बाग में तिरंगा भी फहराया था।
साहस
गोलियां हमें डरा नहीं सकतीं- बिल्किस दादी
फरवरी में जब एक युवक ने प्रदर्शन स्थल से मात्र 50 मीटर की दूरी पर दो फायर किए, तब वहीं पर मौजूद बिल्किस दादी ने कहा था, "टेंट में दहशत फैल गई थी, लेकिन अंत में सब लोग शांत हो गए। हम उस जगह तक गए जहां कारतूस मिले थे और प्रार्थना की... ये गोलियां हमें डरा नहीं सकतीं।"
गृह मंत्री अमित शाह के CAA पर पीछे नहीं हटने पर उन्होंने कहा था कि वह भी पीछे नहीं हटेंगी।
जानकारी
26 जनवरी को फहराया था शाहीन बाग में झंडा
बिल्किस दादी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर रोहित वेमुला और जुनैद खान की मांओं के साथ मिलकर शाहीन बाग में तिरंगा भी फहराया चुकी हैं। इस कार्यक्रम में हजारों लोग शामिल हुए थे।
प्रदर्शन
101 दिन चला था शाहीन बाग का प्रदर्शन
बता दें कि शाहीन बाग का ये प्रदर्शन 101 दिन चला था और कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने एहतियात के तौर पर 24 मार्च को प्रदर्शनकारियों को धरने से उठा दिया था।
तब बिल्किस ने कहा था, "अगर प्रधानमंत्री को हमारी सेहत की इतनी ही चिंता है तो आज इस काले कानून को रद्द कर दें, फिर हम भी रविवार के दिन जनता कर्फ्यू में शामिल हो जाएंगे।"
लेख
बिल्किस अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक- टाइम मैगजीन
100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची मे शामिल होने के मौके पर टाइम मैगजीन में बिल्किस दादी पर लिखे गए लेख में पत्रकार राणा आयूब ने लिखा है, "बिल्किस हाशिये पर पड़े लोगों की आवाज बनीं... एक ऐसे देश में प्रतिरोध का प्रतीक बनीं जहां मोदी सरकार की बहुसंख्यकवाद राजनीति के द्वारा महिलाओं और अल्पसंख्यकों की आवाज को दबाया जा रहा है... बिल्किस का महशूर होना इसलिए जरूरी है ताकि दुनिया अत्याचार के खिलाफ प्रतिरोध की ताकत को पहचाने।"