विधायक चुने जाने के बाद अखिलेश यादव और आजम खान ने छोड़ी लोकसभा की सदस्यता
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मंगलवार को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को अपना इस्तीफा सौंपा। गौरतलब है कि अखिलेश हाल ही में संपन्न हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में करहल से विधायक चुने गए हैं। अखिलेश के अलावा सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने भी लोकसभा की सदस्यता छोड़ दी है। वो रामपुर सीट से विधायक चुने गए हैं।
विधानसभा में नेता विपक्ष बन सकते हैं अखिलेश
अखिलेश यादव 2019 में आजमगढ़ लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने थे। अब यह पद छोड़ने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता विपक्ष बन सकते हैं। बता दें कि अखिलेश यादव ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था और करहल सीट पर केंद्रीय मंत्री और भाजपा के उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल को 60,000 से अधिक वोटों से मात दी थी। करहल को सपा का गढ़ माना जाता है।
इस्तीफा देने से पहले कार्यकर्ताओं से मिले थे अखिलेश
लोकसभा सीट छोड़ने से पहले अखिलेश यादव ने आजमगढ़ जाकर अपने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने करहल जाकर भी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की सलाह ली थी। पहले खबरें आई थीं कि अखिलेश सांसद बने रह सकते हैं, लेकिन ये महज कयास साबित हुए। इस कदम के साथ अखिलेश ने साफ कर दिया है कि वो राज्य में ही रहते हुए ही भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चे पर डटे रहेंगे।
जेल में रहते ही चुनाव जीते थे आजम खान
विभिन्न मामलों में जेल में बंद सपा नेता आजम खान जेल में रहते ही विधानसभा चुनाव जीते थे। अब उन्होंने रामपुर सीट से सांसदी छोड़ दी है और विधायक बने रहने का फैसला किया है। बता दें कि नियमों के अनुसार, अगर कोई सांसद चुनाव जीतकर विधायक बन जाता है तो उसे एक सीट छोड़नी पड़ती है। वह सांसद और विधायक दोनों पदों पर नहीं रह सकता। लोकसभा सदस्य रहते हुए विधायक पद की शपथ नहीं ली जा सकती।
लोकसभा में बचे सपा के तीन सांसद
इन इस्तीफों के साथ लोकसभा में सपा सदस्यों की संख्या तीन रह गई है। अभी मुरादाबाद से एसटी हसन, मैनपुरी से मुलायम सिंह यादव और संभल से शफीकुर्रहमा बर्क लोकसभा में सपा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। खाली हुई दोनों सीटों पर उपचुनाव होगा।
विधानसभा चुनाव में सपा को मिली हार
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा को भाजपा के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश की 403 सीटों में से 273 पर भाजपा और उसके सहयोगी ने जीत दर्ज की है। सपा और उसके सहयोगी मात्र 125 सीट ही जीत पाए, वहीं मायावती की बसपा लगभग साफ हो गई है और मात्र एक सीट जीत हासिल की। कांग्रेस और अन्य ने केवल दो-दो सीटें जीती हैं।