महामारी का असर, देश की अदालतों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे लंबित मामले
क्या है खबर?
पहले से ही अधिक मामलों के कारण दबाव में चल रही देश की न्यायपालिका का बोझ महामारी से और बढ़ गया है।
कोरोना के कारण देशभर की अदालतों की कामकाज प्रभावित रहा था। इसके चलते लंबित मामलों की संख्या अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
सरकारी प्लेटफॉर्म नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड (NJDG) के अनुसार, दिसंबर, 2019 से लेकर दिसंबर, 2020 के बीच जिला अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है।
लंबित मामले
जिला अदालतों और हाई कोर्ट्स में हुआ इतना इजाफा
आंकड़ों के अनुसार, ऊपर बताए गए समय के दौरान जिला अदालतों में लंबित पड़े मामलों की संख्या में 18.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
इसकी तुलना अगर पहले के सालों से करें तो 2018-19 में लंबित मामले 7.79 प्रतिशत और उससे पहले 2017-18 में 11.6 प्रतिशत की दर से बढ़े थे।
इसी तरह 25 हाई कोर्ट्स में लंबित मामलों की संख्या पिछले साल 20.5 प्रतिशत बढ़ी है। 2018-19 में ये मामले 5.29 प्रतिशत की दर से बढ़े थे।
लंबित मामले
सुप्रीम कोर्ट में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचे मामले
अगर सुप्रीम कोर्ट की बात करें 1 मार्च, 2020 को यहां लंबित मामलों की संख्या 60,469 थी। एक साल बाद यानी 1 मार्च, 2021 को 10.35 प्रतिशत बढ़कर 66,727 हो गई।
2013 के बाद से यह एक साल में लंबित मामलों की संख्या में सबसे बड़ा इजाफा है।
अगर आंकड़ों के हिसाब से भी देखें तो इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में कभी इतने मामले लंबित नहीं थे और न ही कभी इतना बड़ा इजाफा देखने को नहीं मिला था।
लंबित मामले
सुप्रीम कोर्ट में ऐसे बढ़ते गए लंबित मामले
सुप्रीम कोर्ट में इस साल से पहले लंबित मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी होती थी। उदाहरण के तौर पर मार्च, 2019 से लेकर मार्च, 2020 तक यहां लंबित मामलों की संख्या में 4.6 प्रतिशत और उससे एक साल पहले 3.9 प्रतिशत का इजाफा हुआ था।
2017-18 में तो देश की शीर्ष अदालत में लंबित मामलों की संख्या में 11.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। उस साल सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले 62,161 से घटकर 55,529 रह गए थे।
वर्चुअल सुनवाई
कोरोना के कारण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रहा कामकाज
बीते एक साल से कोरोना महामारी के चलते अदालतें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई कर रही हैं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तय घंटों से अधिक काम किया है।
28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी बयान में बताया गया था कि साल के तय 190 कार्यदिवसों की बजाय इस साल कोर्ट ने 231 दिन काम किया।
कानून मंत्रालय ने लोकसभा को जानकारी दी थी कि पाबंदियों वाले महीनों में सुप्रीम कोर्ट ने लगभग 32,000 सुनवाईयां की थी।
रिक्तियां
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की कमी
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, देश के 25 हाई कोर्ट्स में जजों की भारी कमी है। इन हाई कोर्ट्स के लिए जजों के 1,080 पद अनुमोदित हैं, लेकिन 1 मार्च तक इनमें 661 जज ही काम कर रहे हैं।
इसी तरह सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पद हैं, लेकिन फिलहाल यहां 30 जज ही कार्यरत हैं। इनमें से भी एक और पद अगले महीने खाली हो जाएगा, जब मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबड़े रिटायर होंगे।
व्यवस्था
CJI ने कही अस्थायी जजों की नियुक्ति की बात
बीते गुरुवार को CJI एसए बोबड़े ने कहा था कि लंबित मामले नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और कोर्ट जल्द ही बैकलॉग को पूरा करने के लिए अस्थायी जजों की नियुक्ति को लेकर गाइडलाइंस जारी करेगा।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अस्थायी नियुक्तियों की व्यवस्था बना सकता है और यह कोलेजियम की सिफारिश पर ही बनेगी।
बता दें, संविधान के अनुच्छेद 128 और 224A के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स में अस्थायी जज नियुक्त किए जा सकते हैं।