योगी सरकार ने पहले दिया शस्त्र लाइसेंस वाले ब्राह्मणों की गिनती का आदेश, फिर लिया वापस
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले राज्य के सभी जिलाधिकारियों से ऐसे ब्राह्मणों की सूची मांगी जिनके पास हथियार का लाइसेंस है या जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है और फिर अपने इस फरमान को वापस ले लिया।
ब्राह्मणों की हत्या और उनकी असुरक्षा से संबंधित एक भाजपा विधायक के सवालों की प्रतिक्रिया में योगी सरकार ने ये फरमान जारी किया था। अब इसे वापस क्यों लिया गया है, इसका कारण अभी सामने नहीं आया है।
मामला
क्या है पूरा मामला?
लंभुआ से भाजपा विधायक देवमणि द्विवेदी ने 16 अगस्त को उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे को नोट भेजते हुए कुछ सवाल उठाए थे।
उन्होंने अपने नोट में पिछले तीन साल में राज्य में कितने ब्राह्मण मारे गए, कितने हत्यारे पकड़े गए, कितनों को सजा हुई, ब्राह्मणों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार की क्या योजना है, कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया और कितनों को ये मिल चुका है आदि जानकारियां मांगी थी।
आदेश
राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को दिया लाइसेंस वाले ब्राह्मणों की गिनती करने का आदेश
द्विवेदी के सवालों की प्रतिक्रिया में राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को जिन ब्राह्मणों के पास शस्त्र लाइसेंस है या जिन्होंने इसके लिए आवेदन किया है, उनकी गिनती करने का अप्रत्याशित फरमान भेज दिया।
राज्य गृह विभाग के अवर सचिव प्रकाश चंद्र अग्रवाल ने 18 अगस्त को जिलाधिकारियों को पत्र लिखते हुए कहा, "कितने ब्राह्मणों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए अप्लाई किया और कितनों को लाइसेंस जारी हुआ?... (इस) संबंध में बिंदुवार जानकारी 21/08/2020 तक शासन को उपलब्ध कराएं। "
आदेश वापसी
अधिकारी बोले- अब ऐसी कोई जानकारी नहीं मांग रही सरकार
हालांकि अब इस आदेश को वापस ले लिया गया है। 'इंडियन एक्सप्रेस' के साथ बातचीत में इसका संकेत देते हुए एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अब ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी जा रही है।
वहीं विधानसभा के प्रधान सचिव प्रदीप दुबे ने कहा, "हमने सरकार से ऐसी कोई जानकारी नहीं मांगी और ऐसे किसी सवाल को स्वीकार नहीं किया गया था।"
रिपोर्ट के अनुसार, आदेश वापस लेने तक एक जिलाधिकारी मांगी गई जानकारियां सरकार के पास भेज चुका था।
राजनीति
ब्राह्मणों के मुद्दे पर गरमाई हुई है उत्तर प्रदेश की राजनीति
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीने से ब्राह्मणों के मुद्दे पर राज्य की राजनीति गरमाई हुई है और विकास दुबे और उसके सहयोगियों की एनकाउंटर में मौत के बाद मामले पर राजनीति और तेज हुई है।
दुबे और उसके सभी सहयोगी ब्राह्मण थे और कुछ लोगों ने इसे 'ब्राह्मण बनाम ठाकुर' का रंग देने की कोशिश भी की थी क्योंकि योगी आदित्यनाथ ठाकुर समुदाय से आते हैं।
कई विपक्षी नेताओं ने ब्राह्मणों के मुद्दे पर सरकार की आलोचना की है।
वोट बैंक का खेल
ब्राह्मणों को रिझाने का प्रयास कर रही हैं सभी पार्टियां
दरअसल, उत्तर प्रदेश की आबादी में 10 प्रतिशत ब्राह्मण हैं और वे किसी भी पार्टी का पूरा चुनावी गणित बना और बिगाड़ सकते हैं। यही कारण है कि सभी विपक्षी पार्टियां उन्हें रिझाने के प्रयास कर रही हैं।
ब्राह्मणों को रिझाने के लिए बसपा प्रमुख मायावती सत्ता में आने पर भगवान परशुराम के नाम पर अस्पताल बनवाने का ऐलान कर चुकी हैं। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी परशुराम की 108 फुट की मूर्ति बनवाने का ऐलान कर चुके हैं।