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पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के जोखिम को कम कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के रोगियों के लिए लाभदायक हैं ये योगासन

पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के जोखिम को कम कर सकते हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास

लेखन अंजली
Sep 26, 2021
10:53 pm

क्या है खबर?

कहते हैं कि बाहरी घाव को भरना आसान होता है, लेकिन जब चोट मन पर लगती है तो उसे ठीक करना मुश्किल हो जाता है। दरअसल, कई बार कुछ घटनाएं या हादसे मन में ऐसे बैठ जाते हैं कि मानसिक रोग का कारण बन जाते हैं। ऐसा ही एक मानसिक रोग है, पोस्ट ट्रमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD)। आइए आज कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं, जो इस रोग के जोखिम को कम करने में सहायक हो सकते हैं।

#1

ताड़ासन

ताड़ासन के लिए पहले योगा मैट पर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं और अपने दोनों हाथों को आसमान की ओर सीधा उठाकर अपनी उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए पंजों के बल खड़े हों और शरीर को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करें। जब शरीर पूरी तरह तन जाए तो इस मुद्रा में कुछ देर बने रहें और सांस लेते रहें। अंत में सांस को धीरे-धीरे छोड़ते हुए प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

#2

मार्जरी आसन

मार्जरी आसन के अभ्यास के लिए पहले योगा मैट पर वज्रासन की स्थिति में बैठें, फिर हाथों को आगे की ओर फैलाकर घुटनों के बल आ जाएं। अब सांस लेते हुए कमर को नीचे की ओर करें और गर्दन को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड इस अवस्था में बने रहें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए रीढ़ को ऊपर करें और गर्दन को नीचे की ओर झुकाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।

#3

शवासन

शवासन के लिए पहले योगा मैट पर आराम मुद्रा में लेट जाएं और आंखें बंद कर लें। अब दोनों हथेलियों को शरीर से लगभग एक फीट की दूरी पर रखें और पैरों को एक-दूसरे से लगभग दो फीट की दूरी पर रखें। अब धीरे-धीरे सांसें लें और पूरा ध्यान सांस पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आखों को धीरे-धीरे खोलें। अंत में दाईं ओर करवट लेकर उठें और आसन को छोड़ दें।

#4

त्रिकोणासन

त्रिकोणासन के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं, फिर अपने दोनों पैरों को जितना हो सके उतना खोलें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधों की सीध में फैलाएं और फिर एक हाथ की उंगलियों से उसी तरफ के पैर के अंगूठे को छूने की कोशिश करें। इस मुद्रा में दो-तीन मिनट तक बने रहने के बाद धीरे-धीरे आसन छोड़े, फिर इसी प्रक्रिया दूसरे हाथ की तरफ से दोहराएं।