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भुजपीडासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें
भुजपीडासन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

भुजपीडासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और अन्य अहम बातें

लेखन अंजली
Aug 13, 2021
06:45 am

क्या है खबर?

भुजपीडासन तीन शब्दों (भुज, पीडा और आसन) के मेल से बना है। इसमें भुज का मतलब बांहो से है, वहीं पीडा का अर्थ दबाव और आसन का मतलब मुद्रा है। भुजपीडासन में हाथों पर शरीर का संतुलन बनाया जाता है और इसके निरंतर अभ्यास से शरीर को ढेरों फायदे मिलते हैं। हालांकि अगर आपको इस आसन के बारे में कुछ भी नहीं पता है तो आइए आज आपको इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।

अभ्यास

भुजपीडासन के अभ्यास का तरीका

सबसे पहले योगा मैट पर पैरों को फैलाकर बैठ जाएं और अपनी दोनों हथेलियों को अपने दोनों पैरों के बीच में रखें। अब अपने पूरे शरीर का भार दोनों हथेलियों पर डालते हुए शरीर को जमीन से ऊपर उठाने की कोशिश करें। इसके बाद दोनों पैरों को आपस में जोड़कर क्रॉस करें। इस दौरान अपने सिर को सामने रखें और सामान्य गति से सांस लेते रहें। इस अवस्था में कुछ मिनट रहने के बाद धीरे-धीरे प्रारंभिक अवस्था में आ जाएं।

सावधानियां

अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां

अगर कलाई में चोट लगी है या फिर कंधे और गर्दन में दर्द है तो इस योगासन का अभ्यास न करें। अगर शरीर में किसी तरह की कमजोरी है तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें। गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। माइग्रेन और उच्च रक्तचाप की समस्या से ग्रसित होने पर भी इस योगासन का अभ्यास न करें। पीठ और पैरों में तकलीफ होने पर भी इस योगासन का अभ्यास न करें।

फायदे

भुजपीडासन का निरंतर अभ्यास करने से मिलने वाले फायदे

रोजाना भुजपीडासन करने से कलाईयों और भुजाओं को मजबूती मिलती है। यह आसन शरीर में लचीलापन और संतुलन शक्ति बढ़ाने में भी सहायक है। इस आसन के नियमित अभ्यास से वजन नियंत्रित करने में काफी मदद मिल सकती है। इस आसन का पाचन क्रिया पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह आसन हड्डियों को भी मजबूती प्रदान करता है। यह आसन थायराइड से ग्रस्त लोगों और हृदय रोगियों के लिए भी बहुत लाभदायक है।

टिप्स

भुजपीडासन के अभ्यास से जुड़ी महत्वपूर्ण टिप्स

अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने वाले हैं तो योग गुरू की मदद जरूर लें। असुविधा होने पर इस आसन का अभ्यास न करें और कभी भी अपने हाथों पर अधिक दबाव न डालें क्योंकि इससे चोट लगने का खतरा रहता है। इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए किसी तरह की जल्दबाजी न करें और संतुलन बनाने के लिए दीवार का सहारा लें।