उत्तान शीशोसन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
क्या है खबर?
ऐसे कई रोग हैं जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर खत्म कर देते हैं। हालांकि योग को अपनाकर शरीर को इस तरह के कई तरह के रोगों की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
योग में कई तरह के आसन होते हैं और आज हम आपको ऐसे ही एक आसन, उत्तान शीशोसन, के अभ्यास का तरीका, इसके फायदे और इसकी अन्य कुछ महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहे हैं। चलिए फिर जानते हैं।
अभ्यास
उत्तान शीशोसन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं और फिर घुटनों के बल खड़े हो जाएं।
अब गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर उठाएं। फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुककर माथे को जमीन से सटाएं और दोनों हथेलियों को भी जमीन पर रखें।
कुछ सेकंड इसी मुद्रा में रहकर सामान्य रूप से सांस लेते रहें।
इसके बाद सांस लेते हुए वापस वज्रासन की मुद्रा में आ जाएं और सामान्य हो जाएं।
सावधानियां
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर पीठ, पेट और गर्दन में दर्द की परेशानी है तो उत्तान शीशोसन का अभ्यास न करें।
गर्भवती महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
अगर आपको पेट संबंधित कोई समस्या है या आपकी कोई सर्जरी हुई है तो भी इस योगासन का अभ्यास न करें।
पैर, घुटनों, हाथों या फिर कंधो में किसी तरह की तकलीफ है तो भी उत्तान शीशोसन का अभ्यास करने से बचें।
फायदे
उत्तान शीशोसन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
यह आसन पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।
इस आसन से शरीर का लचीलापन और संतुलन शक्ति भी बढ़ती है।
सर्वाइकल रोगियों के लिए भी यह योगासन लाभदायक है।
इस आसन का नियमित अभ्यास शरीर के ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने में भी सहायक है।
इस आसन से हृदय पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यह आसन मन को खुश रखने और दिमाग को शांत रखने में भी सहायक है।
टिप्स
अभ्यास से जुड़ी विशेष टिप्स
अगर आपका वजन ज्यादा है तो इस योगासन का अभ्यास न करें या फिर किसी योग गुरू की निगरानी में इसका अभ्यास करें।
इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें।
शुरूआत में इस आसन की मुद्रा में अधिक देर तक न रूकें, बल्कि धीरे-धीरे इसका समय बढ़ाएं।
इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींचे क्योंकि जबरदस्ती करने से चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।