मरीच्यासन: स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है यह योगासन, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
मरीच्यासन की खोज ऋषि मारीच ने की थी, इसलिए इस आसन का नाम उनके नाम पर पड़ा है। संस्कृत में मारीच का अर्थ होता है 'रोशनी की किरण'। अपने नाम के अनुरूप इस योगासन का अभ्यास आपको कई तरह के चमत्कारिक परिणाम दे सकता है। अगर आप रोजाना कुछ मिनट इस योगासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज हम आपको मरीच्यासन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
मरीच्यासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब सांस अंदर लें और अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़े। सांस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें और सिर से बाएं पैर के घुटने को छूने की कोशिश करें। फिर दाएं हाथ को दाएं पैर के आगे से ले जाकर पीठ के पास लाएं और बाएं हाथ से दाएं हाथ को पकड़ लें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी को पेट या फिर पीठ के निचले हिस्से में दर्द की परेशानी हो तो वह मरीच्यासन न करें। हाथों में दर्द, कोहनी में चोट, कंधे या फिर घुटने में कोई समस्या होने पर इस आसन का अभ्यास करने से बचें। दस्त या फिर अस्थमा की समस्या होने पर भी मरीच्यासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। इस आसन को करते समय अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक बल प्रयोग न करें।
मरीच्यासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
इस योगासन का पूरे शरीर की मांसपेशियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे पेट का ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है, जिससे पेट और इसके अंदरूनी तंत्र को मजबूती मिलती है। इस आसन का अभ्यास माइग्रेन ग्रसितों के लिए लाभदायक है। यह आसन किडनी और लीवर पर भी अपना सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह आसन शरीर में जमी हुई अतिरिक्त चर्बी को कम करने में मदद करता है। यह आसन दिमाग को शांत रखने में भी सहायक है।
मरीच्यासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
शुरुआत में इस आसन का अभ्यास करते समय आपसे आगे की ओर बिल्कुल भी नहीं झुका जाएगा या बहुत कम झुका जाएगा, इसलिए अपने शरीर पर ज्यादा दबाव न डालें। बेहतर होगा कि आपसे जितना झुका जाए उतना ही झुके और इस योगासन का अभ्यास करते समय ढीले कपड़े पहनें। जब आसन का अभ्यास छोड़े तो किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे आसन का अभ्यास बंद करें।