मलासन: स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है इस योगासन का अभ्यास, जानिए इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
मलासन के अभ्यास में मल त्यागने वाली मुद्रा बनती है और इसी वजह से इसे मलासन के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजी में इस आसन को गारलैंड पोज और स्क्वॉट पोज के नाम से जाना जाता है। अगर आप इस आसन का अभ्यास नियमित तौर पर करते हैं तो इससे आपको कई स्वास्थ्य संबंधी फायदे मिल सकते हैं। चलिए फिर आज आपको इस आसन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
मलासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योग मैट पर अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर और कंधे की सीध से बाहर की तरफ फैलाकर बैठ जाएं। ध्यान रहे कि बैठते समय कमर का ऊपरी भाग सीधा होना चाहिए। इस अवस्था में आने के बाद शरीर मल त्यागने वाली मुद्रा में दिखाई देने लगेगा। अब अपने दोनों हाथों को नमस्कार मुद्रा में जोड़ लें। कुछ मिनट इसी मुद्रा में रहने की कोशिश करें और फिर आसन को छोड़ दें।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी को उच्च रक्तचाप या डायरिया की शिकायत है तो वह इस आसन के अभ्यास से दूर रहें। घुटनों में समस्या या आर्थराइटिस होने पर भी मालासन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गर्दन में दर्द की समस्या है तो आसन करते समय गर्दन न मोड़ें बल्कि सामने की ओर देखें। मलासन का अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें ताकि वह आपको यह बता सकें कि इस आसन का अभ्यास करना सही होगा या नहीं।
मलासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
अगर आप नियमित तौर पर मलासन का अभ्यास करते हैं तो इससे आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, यह पेट के भीतरी अंगों को सिकोड़कर उन्हें टोन करता है और सिक्स पैक एब्स बनाने में काफी मदद कर सकता है। इसके अलावा यह पाचन शक्ति को भी सुधारता है। इसी के साथ यह योगासन एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करता है और सोचने-समझने की शक्ति को बढ़ाता है।
मलासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने वाले हैं तो आपको बता दें कि इसका अभ्यास सुबह के वक्त ही किया जाता है। अगर आप शाम को यह आसन करने वाले हैं तो इससे चार से छह घंटे पहले कुछ न खाएं। बेहतर होगा कि आप इसका अभ्यास योग गुरू की निगरानी में करें और किसी भी तरह की असुविधा या दर्द महसूस होने पर आसन का अभ्यास बंद कर दें।