रोजाना आधी रात में सोते हैं? हो सकती हैं ये समस्याएं, जानिए आदत सुधारने के तरीके
नींद शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, लेकिन अगर आपके सोने का तरीका या समय ही ठीक न हो तो इससे आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। अगर आप रोजाना टीवी देखने या मोबाइल आदि को चलाने के चक्कर में आधी रात को सोते हैं तो इससे आपके शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। आइए जानते हैं कि आपकी यह आदत किन-किन समस्याओं का कारण बन सकती है।
आंतरिक घड़ी का बिगड़ना
सर्कैडियन लय मानव शरीर की आंतरिक घड़ी होती है, जो प्रकाश के संपर्क के आधार पर नींद और जागने के चक्र को नियंत्रित करती है। हालांकि, अगर आप रोजाना आधी रात के बाद सोते हैं तो यह सर्कैडियन लय बिगड़ सकती है, जिससे सोना और तरोताजा महसूस करना मुश्किल हो जाता है। इसके कारण व्यक्ति पूरा चिड़चिड़ा रहता है और उसे धुंधला भी दिखने लगता है। इसके अतिरिक्त इससे हार्मोन रिलीज और मेटाबॉलिज्म पर भी बुरा असर पड़ता है।
कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली
नींद शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए भी जरूरी है। गहरी नींद के दौरान शरीर साइटोकिन्स नामक प्रोटीन का उत्पादन करता है, जो संक्रमण और सूजन से लड़ने में मदद करती है। हालांकि, अगर आप रोजाना किसी भी कारणवश रोजाना आधी रात को सोने के बाद सुबह जल्दी उठकर नींद में कटौती करते हैं तो इससे साइटोकिन का उत्पादन कम हो सकता है। इस वजह से सर्दी, फ्लू और अन्य बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है।
वजन बढ़ने का खतरा
नींद की कमी आपके लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे हार्मोन को प्रभावित कर सकती है, जो भूख और तृप्ति को नियंत्रित करते हैं। हालांकि, अगर आप रोजाना देर से सोकर सुबह जल्दी उठ जाते हैं तो इससे लेप्टिन का स्तर कम हो जाता है। इससे पेट को भरा हुआ महसूस नहीं होता, जबकि घ्रेलिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अनहेल्दी, उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों की लालसा बढ़ जाती है। यह हार्मोनल असंतुलन वजन बढ़ने का कारण बनता है।
सीखने की क्षमता कम होना
यादों को मजबूत करने, कुछ नया सीखने और कार्यों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भी नींद की महत्वपूर्ण है। जब आपके सोने और उठने का समय ही ठीक नहीं होता तो इससे मस्तिष्क पर दबाव पड़ता है, जिस वजह से ध्यान केंद्रित करने और निर्णय लेने में कठिनाई होती है। यह आपके कार्य प्रदर्शन, शैक्षणिक सफलता और समग्र उत्पादकता को भी प्रभावित कर सकता है।
पुरानी बीमारियों का जोखिम बढ़ना
लंबे समय तक नींद की कमी हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी पुरानी बीमारियों के विकसित होने के उच्च जोखिम से जुड़ी है। यह आंशिक रूप से बिगड़ी नींद के कारण होने वाले हार्मोनल असंतुलन का परिणाम हो सकता है, जो ब्लड शुगर, मेटाबॉलिज्म और सूजन को प्रभावित कर सकता है। इन समस्याओं से सुरक्षित रहने का सबसे अच्छा तरीका है कि रोजाना समय से सोने और उठने का नियम बना लें।
नींद को सुधारने के तरीके
अगर सोने वाले कमरे में टीवी, मोबाइल या लैपटॉप जैसे उपकरण होंगे तो आप न जाने कितनी देर तक इन्हीं के इस्तेमाल में लगे रहेंगे और नींद नहीं आएगी। अगर आप चाहते हैं कि समय से नींद आ जाए तो अपने मोबाइल आदि को बंद करके सो जाएं। इसके अतिरिक्त सोने के लिए कमरे में अंधेरा, शांति और आरामदायक जगह का होना भी जरूरी है। यहां जानिए ब्लू लाइट से नींद को प्रभावित होने से बचाने के तरीके।