फलकासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इससे जुड़ी सावधानियां और अन्य महत्वपूर्ण बातें
फलकासन दो शब्दों (फलक और आसन) का मेल है। इसमें फलक का अर्थ लकड़ी का तख्ता है, वहीं आसन का मतलब मुद्रा से है। इस योगासन के अभ्यास के दौरान शरीर लकड़ी के तख्ते की तरह सीधा रखना होता है, इसलिए इसका नाम फलकासन है। अगर आप रोजाना इस योगासन का अभ्यास करते हैं तो आपको इससे कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। आइए आज आपको फलकासन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
फलकासन करने का तरीका
सबसे पहले एक योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं और इस दौरान अपने दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाकर रखें। इसके बाद अपने हाथों को कोहनियों से मोड़ते हुए जमीन पर रखें और हाथों की उंगलियों को आपस में फंसा लें। अब धीरे-धीरे सांस लेते हुए हाथों पर जोर देते हुए अपने पूरे शरीर को ऊपर उठाने की कोशिश करें। कुछ सेकेंड इस अवस्था में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी की कोहनी, पीठ, घुटने, रीढ़ की हड्डी या फिर कंधे में चोट लगी है या शरीर के अन्य किसी अंग में दर्द की समस्या है तो वह इस योगासन का अभ्यास न करे। पीरियड्स और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, अवसाद और कार्पल टनल सिंड्रोम जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोग भी इस योगासन का अभ्यास न करें।
फलकासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले फायदे
इस आसन से साइटिका की समस्या से राहत मिल सकती है। यह आसन कूल्हों, पीठ, पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाता है। इससे पेट के अंदरूनी तंत्र को भी मजबूती मिलती है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती प्रदान करता है। यह आसन एब्स को आकर्षक बनाने में भी सहायक है। इस आसन से एकाग्रता क्षमता भी बढ़ती है। यह आसन हृदय के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप इस योगासन का अभ्यास पहली बार करने जा रहे हैं तो विशेषज्ञ की निगरानी में करें। इस योगासन की शुरुआत में संतुलन बनाना मुश्किल हो सकता है, इसलिए दीवार का सहारा लें। इस आसन को करते समय शरीर में अधिक तनाव पैदा न करें। इसके अलावा इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींचे क्योंकि जबरदस्ती करने से चोट लगने की संभावना बढ़ सकती है।