ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में सक्षम हैं ये योगासन, ऐसे करें अभ्यास
दुनियाभर में बहुत महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आती हैं और भारत में यह कैंसर हर साल हजारों मौतों का कारण बनता है। इसी वजह से अगर आपको ब्रेस्ट कैंसर का डर सताता है तो रोजाना कुछ योगासनों का अभ्यास करना आपके लिए लाभदायक हो सकता है। आइए आज ऐसे ही कुछ योगासनों के अभ्यास का तरीका जानते हैं जो ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।
शलभासन
शलभासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को जांघों के पीछे की ओर ले जाएं। अब लंबी सांस लेते हुए अपने सिर के साथ धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों और गर्दन को ऊपर की तरफ उठाएं। लेकिन ध्यान रहे कि आपका पेट जमीन पर ही रहना चाहिए। कुछ मिनट बाद इस मुद्रा को धीरे-धीरे छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। इस आसन को आप 10-12 बार दोहरा सकते हैं।
मार्जरी आसन
मार्जरी आसन का अभ्यास करने के लिए योगा मैट पर वज्रासन की स्थिति में बैठ जाएं और फिर हाथों को आगे की ओर फैलाकर घुटनों के बल आ जाएं। अब सांस लेते हुए कमर को नीचे की ओर करें और गर्दन को ऊपर उठाएं। कुछ सेकंड ऐसे ही बने रहें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए रीढ़ की हड्डी को ऊपर करें और गर्दन को नीचे की ओर झुकाएं। कुछ सेकंड इसी अवस्था में बने रहें और फिर सामान्य हो जाएं।
अश्व संचालनासन
अश्व संचालनासन के लिए पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं और पंजे को जमीन पर रखते हुए दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इसके बाद अपने बाएं पैर को सीधा रखते हुए जितना हो सके शरीर के पीछे ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों को दाएं पैर के बराबर में रखें और एकदम सामने की ओर देखें। इसी मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
भुजंगासन
भुजंगासन के अभ्यास के लिए सबसे पहले योगा मैट पर अपने हाथों को अपने कंधों के नीचे रखकर पेट के बल लेट जाएं। अब अपने हाथों से दबाव देते हुए अपने शरीर को जहां तक संभव हो सके, ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस दौरान सामान्य तरीके से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं। कुछ देर बाद इस योगासन को फिर से दोहराएं।