अश्व संचालनासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, इसके लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
अश्व संचालनासन सूर्य नमस्कार आसन के चौथे और नौवें चरण की मुद्रा है और इसके अभ्यास से हाथों और पैरों पर खिंचाव पड़ता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह योगासन अत्यंत प्रभावी आसनों में से एक है, इसलिए आपके लिए नियमित तौर पर इसका अभ्यास करना लाभदायक सिद्ध हो सकता है। चलिए फिर आज हम आपको अश्व संचालनासन के अभ्यास का तरीका और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
अश्व संचालनासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले चटाई पर सीधे खड़े हो जाएं और पंजे को जमीन पर ही रखते हुए दाएं पैर के घुटने से मोड़ लें। इसके बाद अपने बाएं पैर को सीधा रखते हुए जितना हो सके शरीर के पीछे ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों को दाएं पैर के बराबर में रखें और एकदम सामने की ओर देंखे। इसी मुद्रा में सामान्य रूप से सांस लेते रहें। कुछ देर इसी अवस्था में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
अगर किसी की पीठ में चोट लगी है या उसे पीठ में दर्द की समस्या है तो वह इस योगासन का अभ्यास न करें। घुटनों की समस्या से पीड़ित भी यह आसन न करें। पीरियड्स और गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को भी इस योगासन का अभ्यास करने से बचना चाहिए। इसके अलावा हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और स्लिप डिस्क आदि समस्याओं से पीड़ित लोगों को भी इस आसन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
अश्व संचालनासन के रोजाना अभ्यास से मिलने वाले फायदे
नियमित तौर पर अश्व संचालनासन के अभ्यास से बॉडी पॉश्चर सुधरता है और रीढ़ की हड्डी, हैमस्ट्रिंग, हिप्स, पिंडली और जांघ में लचीलापन आता है। इसके अलावा इस योगासन से बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है और पाचन क्रिया की कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है। यह योगासन अनिद्रा से राहत देने, ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने और जोड़ों और मांसपेशियों में मजबूती लाने में भी कारगर है।
अश्व संचालनासन के अभ्यास से जुड़ी खास टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने वाले हैं तो सबसे पहले इसके हर एक स्टेप को अच्छे से समझ लें। बेहतर होगा कि आप इसका अभ्यास योग विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें। इसके अलावा अगर आप इस योगासन का अभ्यास करते समय शरीर को ज्यादा न खींच पाएं तो जबरदस्ती न करें क्योंकि इससे चोट लग सकती है। अभ्यास के दौरान शरीर में किसी तरह का तनाव भी न बनाएं।