मुंह को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक हैं ये प्राणायाम, जानिए अभ्यास का तरीका
मुंह का स्वस्थ होना शरीर के स्वस्थ होने का प्रतीक है। शोधों से पता चला है कि मुंह से संबंधित समस्याओं के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए अगर आप अपने मुंह को बीमारियों का घर नहीं बनाना चाहते हैं तो रोजाना दो बार ब्रश करने के साथ-साथ कुछ प्राणायामों का अभ्यास करना लाभदायक हो सकता है। आइए आज आपको कुछ ऐसे प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं जो मुंह को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
शीतकारी प्राणायाम
इसके लिए सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब जीभ को ऊपर की ओर रोल करें और इसे ऊपरी तालु से लगाएं। इसके बाद दांतों को एक साथ मिलाएं और होठों को अलग रखें ताकि दांत दिखें। फिर धीरे से लंबी सांस लें। ऐसा करने पर मुंह से 'हिस' की आवाज उत्पन्न होगी। इसके बाद अपने होंठों को आपस में मिलाकर धीरे से नाक से सांस छोड़ें। इस प्रक्रिया को लगभग 20-25 बार दोहराएं।
भ्रामरी प्राणायाम
सबसे पहले योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं। अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें। फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें। इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे आंखों को खोलें और प्राणायाम को छोड़ दें।
शीतली प्राणायाम
इस प्राणायाम के लिए सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठ जाएं और आंखें बंद करें। अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखकर अपनी जीभ से नली का आकार बना लें। दोनों किनारों से जीभ को मोड़कर पाइप का आकार बना लें और फिर इसी स्थिति में लंबी और गहरी सांस लेकर जीभ को अन्दर करके मुंह को बंद कर लें। इसके बाद अपनी नाक के जरिए धीरे-धीरे सांस लेते रहें। कुछ मिनट इस प्रक्रिया को दोहराते रहें।
वात नाशक मुद्रा योग
इस योग के लिए सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठें और फिर अपने दोनों हाथों की तर्जनी और मध्या उंगलियों को मोड़कर अंगूठे से दबाएं। इस दौरान बाकी की उंगलियों को सीधा रखें। अब अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें। इसके बाद अपनी दोनों आंखों को बंद करके नाक से धीरे-धीरे सांस लें। कुछ मिनट इस मुद्रा में रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।