उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन: जानिए इस योगासन के अभ्यास का तरीका, लाभ और अन्य महत्वपूर्ण बातें
उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन पांच शब्दों (उत्थित, हस्त, पद, अंगुष्ठ और आसन) के मेल से बना है। इसमें उत्थित का अर्थ उठा हुआ, हस्त यानि हाथ, पद का मतलब पैर, अंगुष्ठ का अर्थ पैर का अंगूठा और आसन का मतलब मुद्रा है। इसका अर्थ हुआ हाथों को उठाकर और पैर के अंगूठे को पकड़ कर किए जाने वाला आसन। इसके निरंतर अभ्यास से शरीर को ढेरों फायदे मिलते हैं। आइए आज हम आपको इस आसन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें बताते हैं।
उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन के अभ्यास का तरीका
सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं। फिर सांस को अंदर लें और दाएं पैर को ऊपर उठाकर घुटने को पेट के समीप ले आएं। अब अपना बायां हाथ कमर पर रखें और दाएं हाथ से दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें। फिर सांस को छोड़ें और अपने दाएं पैर को बाहर की ओर घुमाकर फैलाएं। इस दौरान सिर को बाईं ओर घुमाएं और कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहने के बाद धीरे-धीरे सामान्य हो जाएं।
अभ्यास के दौरान जरूर बरतें ये सावधानियां
इस आसन का अभ्यास थोड़ा कठिन है, इसलिए इसके हर स्टेप की तरफ धीरे-धीरे बढ़ें और किसी भी तरह की जल्दबाजी न करें। हाथों में दर्द, कोहनी में चोट और कंधे में कोई समस्या होने पर इस आसन का अभ्यास करने से बचें। इसके अलावा पीठ या पैरों में कोई समस्या है तो भी इस आसन का अभ्यास न करें। गर्भावस्था और मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन के नियमित अभ्यास से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
इस आसन का अभ्यास करने से पैरो, टखनों और घुटनों में खिंचाव आता है जो उन्हें मजबूत बनाने में बहुत सहायक होता है। यह आसन शरीर की संतुलन शक्ति को भी बढ़ाता है। इसके अभ्यास से एकाग्रता की क्षमता भी मजबूत होती है। उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में भी काफी मदद कर सकता है। यह आसन पाचन क्रिया की कार्यक्षमता को भी बेहतर कर सकता है और मानसिक विकारों से भी राहत दिला सकता है।
उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन के अभ्यास से जुड़ी विशेष टिप्स
अगर आप पहली बार इस योगासन का अभ्यास करने वाले हैं तो ऐसा किसी प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें। अगर उत्थित हस्त पदांगुष्ठासन का अभ्यास करते समय आप शरीर का संतुलन नहीं बना पा रहे हैं तो कुछ समय तक इस योगासन का अभ्यास दीवार के सहारे करें। इस योगासन के अभ्यास के दौरान अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न लगाएं। हमेशा वार्मअप करने के बाद ही इसका अभ्यास करें।